नारद स्टिंग में सुवेंदु के खिलाफ मंजूरी लंबित, मुकुल रॉय के खिलाफ कार्रवाई को सीबीआइ ने अनुमति ही नहीं मांगी

तृणमूल कांग्रेस की ओर से बार-बार सवाल उठाया जा रहा है कि राज्यपाल ने उनकी पार्टी के दो मंत्रियों एक विधायक के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी दे दी लेकिन तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दो साल बाद भी लंबित है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 05:30 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 05:02 PM (IST)
नारद स्टिंग में सुवेंदु के खिलाफ मंजूरी लंबित, मुकुल रॉय के खिलाफ कार्रवाई को सीबीआइ ने अनुमति ही नहीं मांगी
मुकुल राय व सुवेंदु अधिकारी को कब गिरफ्तार करेंगे? इस सवाल पर भाजपा ने चुप्पी साधी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : सीबीआइ ने सोमवार को नारद स्टिंग कांड में बंगाल सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों सहित तृणमूल कांग्रेस एक विधायक और एक पूर्व भाजपा नेता को गिरफ्तार किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस माह इनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी थी जिसके बाद चार नेताओं, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर व मंत्री शोभन चटर्जी को गिरफ्तार किया गया। परंतु, यह तृणमूल कांग्रेस की ओर से बार-बार सवाल उठाया जा रहा है कि राज्यपाल ने उनकी पार्टी के दो मंत्रियों, एक विधायक के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी दे दी, लेकिन चुनाव के पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए वर्तमान में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी का नाम भी इस केस में शामिल है और अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दो साल बाद भी लंबित है।

यहां दिलचस्प बात यह है कि सीबीआइ ने इसी मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के लिए आवेदन ही नहीं किया है। जबकि मुकुल रॉय एजेंसी द्वारा दर्ज एफआइआर में आरोपी नंबर एक हैं। रॉय उन बड़े नेताओं में हैं जो 2017 में सबसे पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। सीबीआइ की कार्रवाई राज्य में चले आक्रामक चुनाव अभियान के बाद तृणमूल के सत्ता हासिल करने के दो हप्ते बाद ही हुई है। इस कार्रवाई पर तृणमूल नेता व अन्य मंत्री सवाल उठा रहे हैं।

यह सवाल इसलिए भी हैं क्योंकि सीबीआइ ने गिरफ्तार नेताओं के खिलाफ चुनाव से पहले जनवरी में ही राज्यपाल के पास मुकदमा चलाने के लिए अनुरोध भेजा था लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए पांच दिनों के अंदर ही ये मंजूरी दे दी गई। तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष इस मुद्दे को लगतार टीवी चैनलों पर उठाते हुए सवाल कर रहे हैं कि आखिर सुवेंदु और मुकुल को क्यों छोड़ा गया? यह पूरी तरह से भाजपा की सियासी प्रतिशोध है।

नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराकर भाजपा के लिए उम्मीद जगाने वाले अधिकारी 13 अन्य लोगों के साथ इस मामले में आरोपित हैं। 2014 में अधिकारी लोकसभा सांसद थे जब नारद स्टिंग ऑपरेशन हुआ था, जिसमें तृणमूल नेताओं को कथित तौर पर एक काल्पनिक कंपनी का पक्ष लेने के लिए नकद राशि स्वीकार करने या बातचीत करते हुए कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया था। इस स्टिंग को 2016 बंगाल विधानसभा के दौरान प्रसारित किया गया था।  सीबीआइ ने सांसद रहे अधिकारी, सौगत राय, काकोली घोष दस्तीदार और प्रसून बनर्जी के खिलाफ चार अप्रैल 2019 को लोकसभा स्पीकर को अभियोजन की मंजूरी के लिए आवेदन भेजा था। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सक्षम प्राधिकारी को अनुरोध मिलने के चार माह के भीतर ही अभियोजन की मंजूरी पर फैसला (चाहे मंजूरी या खारिज) लेना होता है।

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