West Bengal Politics : भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व के जवाब में तृणमूल ‘बंगाली अस्मिता’ को बनाएगी मुख्य चुनावी मुद्दा

रणनीति - बंगाली बनाम बाहरी अभियान को मिली ‘सकारात्मक’ प्रतिक्रिया से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व। तमिलनाडु और महाराष्ट्र की तर्ज पर तृणमूल भी बांग्ला संस्कृति और पहचान के रक्षक के तौर पर उभरना चाहती। हमें लगता है कि किसी को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 04:25 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 04:25 PM (IST)
West Bengal Politics : भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व के जवाब में तृणमूल ‘बंगाली अस्मिता’ को बनाएगी मुख्य चुनावी मुद्दा
West Bengal Politics : भगवा खेमे के आक्रामक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के उभार के जवाब में क्षेत्रीय भावना का सहारा।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : ‘बंगाली बनाम बाहरी’ अभियान को मिली ‘सकारात्मक’ प्रतिक्रिया से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने बंगाल में भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व के अभियान की काट के तौर पर 2021 के विधानसभा चुनाव में ‘बंगाली अस्मिता’ को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के शीर्ष नेताओं के एक धड़े का मानना है कि भगवा खेमे के आक्रामक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के उभार के जवाब में क्षेत्रीय भावना का सहारा लिया जा सकता है।

विकास के अलावा बंगाली अस्मिता हमारा मुख्य चुनावी मुद्दा होगा : राय

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत राय ने कहा, ‘‘अगले विधानसभा चुनाव के दौरान विकास के अलावा बंगाली अस्मिता हमारा मुख्य चुनावी मुद्दा होगा। बंगाली अस्मिता केवल बंगालियों के बारे में नहीं है इसमें सभी भूमि पुत्रों के लिए अपील है। इस विचारधारा के जरिए राज्य के लोगों को नियंत्रित करने के लिए बाहर से लाए गए नेताओं को थोपने के भाजपा के अभियान से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।’’ 

तृकां नेता ने कहा-हमें लगता है कि किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए

तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडु के क्षेत्रीय दल और महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह ही तृणमूल भी बांग्ला संस्कृति और पहचान के रक्षक के तौर पर उभरना चाहती है। तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा, ‘‘बिहार में जद (यू) ने ‘बिहारी बनाम बाहरी’ की बात की थी। राष्ट्रवाद का सहारा लेने वाली भाजपा ने भी 2007 में गुजरात चुनाव में ‘गुजराती अस्मिता’ की बात की थी। इसलिए अगर हम ऐसा करते हैं तो हमें लगता है कि किसी को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’’ 

केंद्रीय नेतृत्व पर भाजपा की ‘‘ज्यादा निर्भरता’’ कारण मिल रहा लाभ

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘विभाजनकारी राजनीति और धार्मिक ध्रुवीकरण का विकास की राजनीति से कभी मुकाबला नहीं किया जा सकता। केवल उपराष्ट्रवाद और क्षेत्रीय भावना से ही इसका मुकाबला कर सकते हैं।’’गौरतलब है कि पिछले करीब दो सप्ताह से तृणमूल कांग्रेस ने बंगाली बनाम बाहरी का मुद्दा जोर शोर से उठाया है और ‘बंगाल बन जाएगा गुजरात’ जैसे बयान दिए हैं।दरअसल, बंगाल में ममता के मुकाबले का चेहरा नहीं होने और केंद्रीय नेतृत्व पर भाजपा की ‘‘ज्यादा निर्भरता’’ के कारण तृणमूल कांग्रेस को फायदा हो रहा है । 

 तृणमूल अपनी आसन्न हार को देखते हुए हताशा में ये मुद्दे उठा रही

तृणमूल सरकार में मंत्री ब्रत्या बसु ने कहा, ‘‘लोगों को फैसला करना है कि क्या वे बाहरियों के हाथ में शासन थमाना चाहते हैं या यहां के भूमिपुत्रों के हाथों में बागडोर देना चाहते हैं। यह ऐसा फैसला है जिसका असर अगली पीढी पर पड़ेगा।’’

मुखर्जी बंगाल से ही थे, हम कैसे बाहरियों की पार्टी हो गए : दिलीप घोष 

दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल से ही थे। हम कैसे बाहरियों की पार्टी हो गए। क्या बंगाल भारत से बाहर है। तृणमूल अपनी आसन्न हार को देखते हुए हताशा में ये मुद्दे उठा रही है।’’

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