सुवेंदु अधिकारी के पक्ष में एकल पीठ के फैसले को ममता सरकार ने दी कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में चुनौती
बंगाल सरकार ने भाजपा के सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ अंतरिम नो गिरफ्तारी आदेश को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ का रुख किया है। गौरतलब है बीते दिन सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ चल रहे पांच मामलों में तीन में गिरफ्तारी पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
राज्य ब्यूरो कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ द्वारा भाजपा के वरिष्ठ विधायक व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी को पांच मामलों में राहत देने के खिलाफ अब ममता सरकार दो जजों की डिवीजन बेंच में अपील की। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सोमवार को सुवेंदु के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। यही नहीं तीन वर्ष पहले सुवेंदु के एक बाडीगार्ड की हुई मौत मामले को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके बाद मंगलवार को राज्य सरकार ने एकल पीठ के फैसले को दो जजों की खंडपीठ में चुनौदी है जिस पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है।
राज्य सरकार ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की है कि सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई पर क्यों रोक लगाई गई है। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने सोमवार को बाडीगार्ड की मौत सहित तीन मामलों पर स्थगनादेश लगा दिया था और कहा कि अधिकारी के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जा सकता है। यदि कोई नया एफआइआर दर्ज होती है, तो पहले कोर्ट को जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही सुवेंदु अधिकारी को जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।
बता दें कि भाजपा नेता के बाडीगार्ड रहे शुभब्रत चक्रवर्ती की मौत के मामले में सीआइडी ने उन्हें तलब किया था। परंतु, सुवेंदु अधिकारी ने व्यस्तता का हवाला देते हुए सीआइडी के समक्ष सोमवार को पेश नहीं हुए। इस मामले में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सवाल उठाया था कि जब एफआइआर में नाम नहीं और कोई शिकायत भी नहीं है तो फिर सीआइडी ने पूछताछ के लिए क्यों तलब किया?
बताते चलें कि तीन साल पहले सुवेंदु की सुरक्षा में तैनात एक पुलिस कर्मी ने कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी। इसके बाद पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बताते हुए केस क्लोज कर दिया था। परंतु, कुछ माह पहले अचानक उक्त मृत बाडीगार्ड की पत्नी ने हत्या की प्राथमिकी दर्ज करा दी और राज्य सरकार ने बिना किसी देरी के जांच सीआइडी को सौंप दी।