West Bengal Elections: भाजपा की ओर से ताल ठोक रहे पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल से तृणमूल को मिल रही कड़ी टक्कर

West Bengal Elections सेना उपप्रमुख के पद से रिटायर्ड होने वाले साहा 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने में भी अहम रोल निभा चुके हैं। साहा का कहना है कि युद्ध का मैदान हो या राजनीति का मैदान दोनों में ज्यादा अंतर नहीं है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 09:08 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 09:08 PM (IST)
West Bengal Elections: भाजपा की ओर से ताल ठोक रहे पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल से तृणमूल को मिल रही कड़ी टक्कर
2001 से ही इस सीट पर तृणमूल का है कब्जा, इस बार आसान नहीं राह

राजीव कुमार झा, कोलकाता। West Bengal Elections दक्षिण कोलकाता की महत्वपूर्ण रासबिहारी सीट पर इस बार जबर्दस्त जंग देखने को मिल रही है। भाजपा की ओर से इस सीट से सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सुब्रत साहा ताल ठोक रहे हैं। वहीं, सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर परिषद सदस्य (एमएमआइसी) देवाशीष कुमार मैदान में हैं। तृणमूल का इस सीट पर 2001 से ही कब्जा है लेकिन इस बार यहां उसकी जंग पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल से है। 40 वर्षो तक सेना में महत्वपूर्ण पदों पर सेवा देने वाले पूर्व सैन्य अधिकारी से तृणमूल को यहां कड़ी टक्कर मिल रही है। सत्तारुढ़ दल के सामने इस सीट पर जीत के इतिहास को दोहराने की बड़ी चुनौती है।

तृणमूल के लिए इस बार यहां लड़ाई इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इस सीट से लगातार चार बार से जीतते आ रहे निवर्तमान विधायक व राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय को ममता बनर्जी ने इस बार अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से उतारा है। ममता खुद इस बार भवानीपुर की बजाय नंदीग्राम से लड़ रही हैं। भवानीपुर से रासबिहारी एकदम सटा हुआ क्षेत्र है। लेकिन, पूर्व सैन्य अधिकारी के सामने रासबिहारी में तृणमूल की राह आसान नहीं दिख रही। इस सीट पर सातवें चरण में 26 अप्रैल को मतदान है।

सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने में साहा का रहा है अहम रोल:वैसे तो तृणमूल के उम्मीदवार देवाशीष कुमार राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं। लंबे समय तक वह कोलकाता निगम के एमएमआइसी रह चुके हैं। वहीं, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल साहा अभी-अभी राजनीति अखाड़े में कूदे हैं। साहा के लिए राजनीति भले नई है, लेकिन वह सेना में रहते देश के दुश्मनों को धूल चटा चुके हैं।

सेना उपप्रमुख के पद से रिटायर्ड होने वाले साहा 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने में भी अहम रोल निभा चुके हैं। साहा का कहना है कि युद्ध का मैदान हो या राजनीति का मैदान, दोनों में ज्यादा अंतर नहीं है। आपकी रणनीति अच्छी होनी चाहिए। उनका कहना है कि मुझे अपने कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा है और इस बार रासबिहारी के लोगों की जीत होगी। उनके मुताबिक, राज्य का जो मौजूदा माहौल है और सुरक्षा की जो चिंताजनक स्थिति है ऐसे में बदलाव बहुत जरूरी है। दूसरी ओर, तृणमूल प्रत्याशी अपनी जीत के प्रति आश्र्वस्त दिख रहे हैं और उनका कहना है कि वह लोगों के सुख-दुख में साथ रहे हैं। जनता का उन्हें आर्शीवाद मिलेगा।

2016 में तीसरे स्थान पर रही थी भाजपा: रासबिहारी सीट पर टीएमसी को पहली बार 2001 में जीत मिली थी। पिछले 20 वर्षो से टीएमसी का यहां कब्जा है। 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी के शोभनदेव चट्टोपाध्याय यहां से चौथी बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी आशुतोष बनर्जी को 14,553 वोटों से हराया था। वहीं, तीसरे नंबर पर 23,381 वोटों के साथ भाजपा उम्मीदवार एस बनर्जी थे। लेकिन इस बार भाजपा यहां भारी दिख रही है। इस क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या में ¨हदीभाषी वोटर भी हैं।

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