Bengal Politics: बीएसएफ के 50 किमी के दायरे से यूं ही खफा नहीं हैं ममता सरकार

बंगाल के दक्षिणी फ्रंटियर के बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि इससे किसी तरह का विवाद नहीं होगा बल्कि सुरक्षा और सुदृढ़ होगी। अब तक 15 किलोमीटर के दायरे में भी बीएसएफ स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कार्य करती थी अब 50 किमी होने पर भी उसी तरह काम करेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:09 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:11 AM (IST)
Bengal Politics: बीएसएफ के 50 किमी के दायरे से यूं ही खफा नहीं हैं ममता सरकार
बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ जवान द्वारा की जा रही निगरानी। फाइल

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। केंद्र सरकार की हर योजना, निर्णय और निर्देश का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले सात वर्षों से विरोध करती आ रही हैं। कुछ मुद्दों को लेकर तो मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। अब केंद्र सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को लेकर जारी नए निर्देश के खिलाफ ममता सरकार ने मोर्चा खोल दिया है। दरअसल केंद्र सरकार ने बंगाल समेत तीन राज्यों में बीएसएफ का कार्यक्षेत्र बढ़ाया है।

नए निर्देश के अनुसार बीएसएफ सीमा से 50 किमी अंदर तक बिना किसी अनुमति के तलाशी अभियान चलाने से लेकर संदिग्धों को गिरफ्तार तक कर सकता है। पहले यह सीमा 15 किमी तक ही थी। इस निर्देश का ममता सरकार पुरजोर विरोध कर रही है। वैसे तो विरोध करने वालों में पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल भी शामिल हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस सबसे अधिक क्षुब्ध है।

आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा। बांग्लादेश से बंगाल की करीब 2,216 किमी सीमा लगती है। सूबे के नौ जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, नदिया, उत्तर व दक्षिण 24 परगना की सीमा से बांग्लादेश सटा है। इन जिलों की सीमा की सुरक्षा के लिए बीएसएफ के दो फ्रंटियर बंगाल के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में तैनात हैं।

सर्वाधिक नकली भारतीय मुद्रा, मादक पदार्थ, हथियार और पशु तस्करी मालदा, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर और मुर्शिदाबाद जिले के पास भारत-बांग्लादेश सीमा से होती है। वहीं दूसरे ओर नदिया, उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिलों से घुसपैठ समेत तमाम तरह की तस्करी व अवैध कारोबार होते हैं। जाली नोट व गाय तस्करी के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात मालदा है। यहां की सीमा से सटे इलाकों में आबादी सघन है, साथ ही नदियां भी हैं जिनके सहारे तस्करी और घुसपैठ को अंजाम दिया जाता है। इन सभी जिलों में सीमा सुरक्षा बल के जवानों की तस्करों के साथ अक्सर मुठभेड़ होती रहती है। इसके अलावा, ग्रामीणों के साथ भी अक्सर विवाद होता रहता है। ऐसी स्थिति में सीमा सुरक्षा बल का दायरा बढ़ने के बाद क्या होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

दूसरी ओर जो जिले बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं, वहां विधानसभा की 294 में से 149 और लोकसभा की 42 में से 20 सीटें हैं। देखा जाए तो विधानसभा और लोकसभा की लगभग आधी सीटें इस नए बदलाव के दायरे में आ गई हैं। यही वजह है कि तृणमूल को इसमें सियासत दिख रही है। तृणमूल नेताओं का तर्क है कि केंद्र सरकार सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आय कर (आइटी) को इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को परेशान करती है और अब बीएसएफ के जरिये भी कार्रवाई कराएगी। बंगाल के एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि इस निर्देश के बाद पुलिस के साथ बीएसएफ का टकराव बढ़ेगा। इसकी वजह यह है कि पुलिस सत्तारूढ़ दल के दबाव में काम करती है और जब तृणमूल के प्रतिकूल कोई स्थिति उत्पन्न होगी तो विवाद बढ़ने की आशंका प्रबल हो जाएगी।

दूसरी तरफ बंगाल के दक्षिणी फ्रंटियर के बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि इससे किसी तरह का विवाद नहीं होगा, बल्कि सुरक्षा और सुदृढ़ होगी। अब तक 15 किलोमीटर के दायरे में भी बीएसएफ स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कार्य करती थी और अब 50 किमी होने पर भी उसी तरह से काम करेगी और इससे अवैध गतिविधियों पर लगाम कसने में आसानी हो जाएगी।

देखा जाए तो इस विरोध की वजह भौगोलिक भी है। बांग्लादेश की सीमा से सटे बंगाल के जिलों की चौड़ाई कम और लंबाई अधिक है। ऐसे में 50 किमी तक जांच का दायरा होने से जिले का लगभग आधा क्षेत्र ही बीएसएफ के अधीन हो जाएगा इसलिए इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। यही वजह है कि ममता सरकार ने इस फैसले को तर्कहीन और संघवाद पर हमला बताते हुए राज्यों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कोशिश करार दिया है।

परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, ‘केंद्र सरकार देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है। कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है।’ तृणमूल के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने इसे पिछले दरवाजे से केंद्र की घुसपैठ करार दे दिया। उनका तर्क है कि घुसपैठ रोकने का काम सीमा पर होता है। वहां सुरक्षा कड़ी करनी चाहिए। माकपा ने भी इसे राज्य की सत्ता में केंद्र का हस्तक्षेप करार दिया है। वहीं बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘केंद्र के फैसले से देश की सुरक्षा मजबूत होगी। घुसपैठ, तस्करी और अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में कमी आएगी। इससे असम, पंजाब और बंगाल को फायदा होगा। राज्य पुलिस के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि राज्य पुलिस का राजनीतिकरण हो गया है। मैं चाहता हूं कि बीएसएफ और राज्य पुलिस मिलकर काम करें।’

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]

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