West Bengal Assembly Election : सिंगुर में गुरु-शिष्य एक-दूसरे को शिकस्त देने को बेताब

भूमि आंदोलन में ममता के सिपहसालार रहे रवींद्रनाथ भट्टाचार्य व बेचाराम मन्ना एक-दूसरे को चुनावी मैदान में दे रहे हैं चुनौती। लोकसभा के नतीजे को देखते हुए इस बार सिंगुर में कमल खिलाने को लेकर भाजपा काफी उत्साहित है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 06:34 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 06:34 PM (IST)
West Bengal Assembly Election : सिंगुर में गुरु-शिष्य एक-दूसरे को शिकस्त देने को बेताब
सिपहसालारों रवींद्रनाथ भट्टाचार्य एवं बेचाराम मन्ना ने सिंगुर-नंदीग्राम आंदोलन का बिगुल फूंका था।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस को बंगाल की सत्ता पर पहुंचाने में सिंगुर-नंदीग्राम आंदोलन की अहम भूमिका रही है। नंदीग्राम विस सीट पर मतदान एक अप्रैल को हो चुका है। अब चौथे चरण में बहुचॢचत सिंगुर सीट पर 10 अप्रैल को मतदान होने वाला है। सिंगुर में किसानों की उपजाऊ भूमि बचाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जिन दो सिपहसालारों रवींद्रनाथ भट्टाचार्य एवं बेचाराम मन्ना ने आंदोलन का बिगुल फूंका था, आज वे ही चुनावी मैदान में एक-दूसरे को शिकस्त देने को बेताब हैं। रवींद्रनाथ भट्टाचार्य एव बेचाराम मन्ना में गुरु-शिष्य का नाता है।

सिंगुर में कमल खिलाने को लेकर भाजपा काफी उत्साहित

गौरतलब है कि तृणमूल ने सिंगुर से लगातार चार बार निर्वाचित होते आ रहे रवींद्रनाथ भट्टाचार्य का टिकट काटकर इस सीट से बेचाराम मन्ना को खड़ा कर दिया। खफा होकर रवींद्रनाथ भट्टाचार्य भाजपा में शामिल हो गए और इस बार  भाजपा के टिकट से यहां चुनावी मैदान में हैं जबकि माकपा ने सिंगुर से से सृजन भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2001 से लेकर अबतक इस सीट पर तृणमूल का कब्जा है। पिछले लोकसभा चुनाव में सिंगुर से हुगली संसदीय क्षेत्र की उम्मीदवार रहीं लॉकेट चटर्जी ने लगभग साढ़े 10 हजार वोटों से बढ़त बनाईं थी। लोकसभा के नतीजे को देखते हुए इस बार सिंगुर में कमल खिलाने को लेकर भाजपा काफी उत्साहित है। 

दोनों सीटों की जीत की जिम्मेदारी भी बेचाराम पर है

सिंगुर आंदोलन से जुड़े तृणमूल नेता महादेव दास कभी रवींद्रनाथ भट्टाचार्य के काफी करीब हुआ करते थे। उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से महादेव दास ने तृणमूल में रहते हुए भी खुद को चुनाव से दूर रखा है। यही हाल तापसी मल्लिक के पिता मनोरंजन मल्लिक का भी है। वे भी इस बार के चुनाव में नजर नहीं आ रहे। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस बार सिंगुर से बेचाराम मन्ना व इससे सटी हरिपाल सीट से बेचाराम की पत्नी करबी मन्ना को उम्मीदवार बनाया है। सियासी विश्लेषक बताते हैं कि बेचाराम इस बार एक नहीं बल्कि दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों सीटों की जीत की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है।

विकास कार्यों का हवाला देकर वोट का समर्थन मांगा 

पिछले चुनाव में तृणमूल नेता बेचाराम ने हरिपाल विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। 89 वर्षीय रवींद्रनाथ भट्टाचार्य भ्रष्टाचार, कट मनी तथा ममता सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों को जनता के बीच उठा रहे हैं। दूसरी तरफ बेचाराम मन्ना तृणमूल सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का हवाला देते हुए उनके पक्ष में  वोट देने की अपील कर रहे हैं। माकपा उम्मीदवार सृजन भट्टाचार्य सिंगुर में फिर कारखाने लगाने की बात कहकर स्थानीय लोगों को रिझा रहे हैं।

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