West Bengal Assembly Election 2021: उत्तर बंगाल के कई मुस्लिम नेताओं ने थामा तृणमूल कांग्रेस का दामन
West Bengal Assembly Election 2021 उत्तर बंगाल के कई मुस्लिम नेताओं ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा। राज्य के शहरी विकास व नगरपालिका मंत्री फिरहाद हकीम की उपस्थिति में कोलकाता स्थित तृणमूल भवन में इन मुस्लिम नेताओं ने पार्टी की सदस्यता ली।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal Assembly Election 2021: बंगाल में विधानसभा चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद रविवार को उत्तर बंगाल के कई मुस्लिम नेताओं ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा। राज्य के शहरी विकास व नगरपालिका मंत्री फिरहाद हकीम की उपस्थिति में कोलकाता स्थित तृणमूल भवन में इन मुस्लिम नेताओं ने पार्टी की सदस्यता ली। फिरहाद ने पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को दल का झंडा देकर स्वागत किया। तृणमूल की ओर से एक बयान में बताया गया कि पार्टी में शामिल होने वाले मुस्लिम नेताओं में डुआर्स मिल्लत-ए- इस्लामिया सोसाइटी के प्रेसिडेंट मोहम्मद कादेर अली, महासचिव मोहम्मद मजनूर रहमान, अलीपुरद्वार के जिला सचिव मोहम्मद आजाद अंसारी, बानरहट के ब्लॉक प्रेसिडेंट मोहम्मद दिलावर अंसारी एवं नागराकाटा के ब्लॉक प्रेसिडेंट मोहम्मद सैबुल हक प्रमुख नाम हैं।
गौरतलब है कि इस बार फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्धीकी के चुनावी मैदान में उतरने से तृणमूल को मुस्लिम वोट बैंक पर अधिपत्य बरकरार रखने में कड़ी चुनौती पेश आ रही है। इससे पहले अब तक मुस्लिमों का वोट तृणमूल के पक्ष में जाता रहा है। लेकिन इस बार तृणमूल को जहां भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है, वहीं बंगाल के मुसलमान भी बंटे नजर आ रहे हैं। ऐसे में तृणमूल के सामने सत्ता बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इस बार पार्टी की एक परंपरा को तोड़ दी। पिछले लोकसभा चुनाव तक जिस दिन मतदान तिथि का निर्वाचन आयोग की ओर से एलान होता था, उसी दिन ममता अपने पार्टी प्रत्याशियों की सूची जारी कर देती थीं। उनका तर्क होता था कि एलान के साथ सभी नेता तत्काल मैदान प्रचार के लिए कूद जाएं। परंतु, इस बार स्थिति कुछ अलग है। प्रत्याशियों के नामों को लेकर तृणमूल कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा में भी मथापच्ची चल रही है। इसका प्रमाण दोनों ही दलों के पार्टी मुख्यालय में उम्मीदवारी के दावे के लिए लगाए गए ड्राप बॉक्स हैं। अगर बात तृणमूल कांग्रेस की करें तो स्थिति कुछ और है, वहीं भाजपा के लिए कुछ और।