बंगाल विधानसभा चुनाव में चर्चित विधाननगर सीट में तृणमूल व भाजपा में कांटे की टक्कर
विधाननगर विधानसभा के अंतर्गत विधाननगर नगर निगम के क्षेत्र के अलावा दक्षिण दमदम नगरपालिका के 19 20 और 28 से लेकर 35 नंबर वार्ड तक के क्षेत्र शामिल हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में विधाननगर केंद्र से भाजपा ने अच्छा वोट हासिल किया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल विधानसभा चुनाव में चर्चित सीटों में विधाननगर सीट भी शामिल है। उत्तर 24 परगना की इस सीट पर 17 अप्रैल को मतदान होना है। इस बार चुनावी मैदान में इस सीट से दो बार से लगातार जीत रहे राज्य के दमकल मंत्री सुजीत बोस को तृणमूल ने उम्मीदवार बनाया है, तो भाजपा ने विधाननगर के पूर्व मेयर सब्यसाची दत्ता को मैदान में उतार दिया है। सब्यसाची दत्ता के भाजपा में शामिल के बाद से ही भगवा की जमीन यहां मजबूत हुई है। ऐसे में इस सीट पर मंत्री के लिए चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाना लोहे के चने चबाने जैसा है। मंत्रीजी की जीत की राह में पूर्व मेयर रोड़ा बनते दिख रहे हैं। वहीं, माकपा-कांग्रेस गठबंधन भी जीत के लिए चुनावी मैदान में पूरा जोर लगाए हुए है। कांग्रेस, वामो व आइएसएफ गठबंधन (संयुक्त मोर्चा) ने कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी को टिकट दिया है।
विधाननगर विधानसभा के अंतर्गत विधाननगर नगर निगम के क्षेत्र के अलावा दक्षिण दमदम नगरपालिका के 19, 20 और 28 से लेकर 35 नंबर वार्ड तक के क्षेत्र शामिल हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में विधाननगर केंद्र से भाजपा ने अच्छा वोट हासिल किया। इस क्षेत्र में भाजपा का वोट तृणमूल से काफी अधिक था। बारासात लोकसभा सीट से तृणमूल ने जीत दर्ज की थी, लेकिन विधानसभा में मिले वोटों के आंकड़ों के मुताबिक विधाननगर विधानसभा सीट पर तृणमूल को 58,956 वोट मिले थे, जबकि भाजपा ने यहां से 77,872 वोट हासिल किए थे। लिहाजा इस सीट पर तृणमूल के सुजीत बोस को भाजपा के सब्यसाची दत्त कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं।
सब्यसाची दत्त और सुजीत बोस के बीच पुराना विवाद
-सब्यसाची दत्त और सुजीत बोस के बीच विवाद पुराना है। एक ही पार्टी में रहने के दौरान भी दोनों गुटों में कई बार विवाद हो चुका है। हालांकि, विवाद खुलकर सामने नहीं आए थे। मेयर रहने के दौरान भी श्री दत्ता के समर्थकों के साथ मंत्री की तू-तू मैं-मैं होती रही। लेकिन विधानसभा चुनाव में यह शीत युद्ध अब खुलकर सामने आ गया है। सब्यसाची दत्ता वर्ष 2015 में चुनाव जीतने के बाद विधाननगर के मेयर बने थे। सुजीत बोस, कृष्णा चक्रवर्ती को कड़ी टक्कर देने के बाद सब्यसाची मेयर बने थे। इसके बाद से ही तृणमूल में सुजीत बोस और सब्यसाची दत्त के समर्थकों में खींचतान बढ़ने लगी थी। लड़ाई इतनी बढ़ गई कि गत लोकसभा चुनाव के बाद से सब्यसाची दत्ता की तृणमूल से दूरियां और भाजपा नेता मुकुल राय से नजदीकियां बढ़ने लगीं। इसकी भनक तृणमूल को लगी, तो सब्यसाची को मेयर पद से हटाने की तैयारी शुरू कर दी गई। सब्यसाची ने अक्टूबर, 2019 में मेयर के पद से इस्तीफा देकर भाजपा का झंडा थाम लिया।