Violence in Bengal: विहिप ने त्वरित कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को लिखा पत्र, हिंसा रोकने में हस्तक्षेप करने की मांग
बंगाल में चुनाव बाद हो रही हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर शिकायत की है। साथ ही राष्ट्रपति से हिंसा रोकने में हस्तक्षेप करने के साथ-साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल में चुनाव बाद हो रही हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर शिकायत की है। साथ ही राष्ट्रपति से हिंसा रोकने में हस्तक्षेप करने के साथ-साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने मंगलवार को राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। आलोक कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी जीती है। लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि होता है।
बंगाल की जनता का यह निर्णय सबको स्वीकार है। यह भी सच है कि चुनाव के बाद विजयी होने वाली पार्टी अपने प्रदेश की संपूर्ण जनता के प्रति जिम्मेवार होती है और अपने प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनायें रखने का उसका दायित्व हो जाता है। परंतु, यहां देखा जा रहा है कि विपक्षी दलों पर हिंसा हो रही है।
उन्होंने आगे लिखा है कि दुर्भाग्य से बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद से सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार से हिंसा कर रही है, उससे पूरा देश चिंतित है। ममता ने चुनाव प्रचार के दौरान ही धमकियां दी थीं कि केंद्रीय सुरक्षा बल तो केवल चुनाव तक है और चुनाव के बाद तो उन्होंने ही सब देखना है। बंगाल में अनियंत्रित राज्यव्यापी हिंसा सुनियोजित है और ऐसा लगता है कि पुलिस व प्रशासन को कह दिया गया है कि वह इसकी अनदेखी करता रहे। बंगाल के न्यायप्रिय नागरिको को मानो दंगाइयों के हाथों में सौंप दिया गया है। यह सब मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन की याद दिला रहा है।
विहिप ने लिखा है कि भारत का संविधान राज्य सरकारों पर यह जिम्मेवारी सौंपता है कि वह अपने राज्य में कानून और व्यवस्था बनाये रखे और अपने राज्य के सब लोगो को कानून का योग्य संरक्षण दें। बंगाल सरकार इसमें विफल हो रही है। यह सब भारतीय संस्कृति और संविधान के सह-अस्तित्व के मूल्यों और कानून के शासन का उल्लंघन है। उन्होंने मांग की कि बंगाल में हिंसा को तत्काल रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और कानून का शासन दोबारा स्थापित हो। दंगाइयों की त्वरित पहचान हो और जल्दी जांच पूरी करके फास्ट ट्रैक न्यायालयों में उनको दंड मिले। दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए और उनको हुए नुक्सान की शासन भरपाई करे।