बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, केंद्र और बंगाल की ओर से कोई वकील पेश नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा से जुड़े एक मामले पर सुनवाई शुक्रवार को दो हफ्ते के लिए टाल दी है। राज्य और केंद्र के वकीलों के अदालत में मौजूद नहीं होने के चलते यह सुनवाई स्थगित की गई।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 04:57 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 04:57 PM (IST)
बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, केंद्र और बंगाल की ओर से कोई वकील पेश नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा से जुड़े एक मामले पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाली

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा से जुड़े एक मामले पर सुनवाई शुक्रवार को दो हफ्ते के लिए टाल दी है। राज्य और केंद्र के वकीलों के अदालत में मौजूद नहीं होने के चलते यह सुनवाई स्थगित की गई। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने नोट किया कि केंद्र और बंगाल की ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ है।

इसके बाद सुनवाई को दो हफ्ते के लिए स्थगित करने का निर्देश दिया।इससे पहले एक जुलाई को पिछली सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में एसआइटी से जांच कराने, पीड़ितों को मुआवजा या आर्थिक मदद देने और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग वाली इस याचिका पर बंगाल सरकार, केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था और चार हफ्ते में जवाब मांगा था।

याचिका में कहा गया है कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने के चलते एक धर्म विशेष के लोगों यानी हिंदुओं को निशाना बनाया गया। चुनाव में जीत की घोषणा के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने अराजकता, अशांति पैदा करना शुरू कर दिया और कई शहरों, कस्बों और गांवों में हिंसा हुई, जिसमें हिंदुओं के घरों और संपत्तियों में आग लगा दी और उनका सामान लूट लिया। वह बस इसलिए कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था।

वकील विष्णु जैन के जरिए दायर याचिका में मांग की गई है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामलों की कोर्ट की निगरानी में एसआइटी से जांच कराने का दिशानिर्देश जारी किया जाए। याचिका में पीड़ित परिवारों को मुआवजा और पलायन कर चुके लोगों के पुर्नवास की व्यवस्था करने की मांग भी की गई है। इसके साथ ही याचिका में केंद्र को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने जैसे कदम उठाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है।

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