Violence in Bengal: कलकत्ता हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, गंभीर अपराधों की सीबीआइ से जांच कराने का अनुरोध

बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच समिति की सिफारिशों के अनुसार दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने का अनुरोध किया।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:46 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:46 PM (IST)
Violence in Bengal: कलकत्ता हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, गंभीर अपराधों की सीबीआइ से जांच कराने का अनुरोध
हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच समिति की सिफारिशों के अनुसार दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने का अनुरोध किया। हालांकि अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआइ जांच के अनुरोध का विरोध किया!

दावा किया कि हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर एनएचआरसी के अध्यक्ष द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आधारहीन और राजनीति से प्रेरित है। वहीं, एनएचआरसी कमेटी की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं में से एक का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अदालत से मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंपने का अनुरोध किया।

जांच रिपोर्ट में पुलिस की अक्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि कई मामलों में शिकायत भी दर्ज नहीं की गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराधों पर राज्य सरकार के दावे समिति के निष्कर्षों से मेल नहीं खाते हैं, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि सरकार के आंकड़ों की तुलना में यह बहुत अधिक है।

एनएचआरसी की रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया

हाई कोर्ट में प्रदेश पुलिस की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह रिपोर्ट पूर्वाग्रह से प्रेरित है और कमेटी के कुछ सदस्यों का भारतीय जनता पार्टी से जुड़ाव हैं।

13 जुलाई को सौंपी गई थी रिपोर्ट

गौरतलब है कि पांच न्यायाधीशों की पीठ को 13 जुलाई को सौंपी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में कमेटी ने कहा था कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा प्रतिशोधात्मक हिंसा थी और दुष्कर्म एवं हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश की थी। इधर, सुनवाई के दौरान मामले में पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए प्रदेश सरकार के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक एवं तृणमूल कांग्रेस विधायक पार्थ भौमिक के अधिवक्ताओं ने कहा कि बगैर उनसे बातचीत किए एनएचआरसी की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ‘कुख्यात अपराधियों’ की सूची में उनसे मिलता-जुलता नाम शामिल कर दिया गया है।

chat bot
आपका साथी