Violence in Bengal: बंगाल हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं का परिवार पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, कलकत्ता हाईकोर्ट से मिली निराशा
बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजेे आने के बाद से शुरू हुई हिंसा में भाजपा ने 25 से अधिक कार्यकर्ताओं व स्थानीय नेताओं की हत्या का आऱोप लगाया है। इन्हीं में से दो भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजेे आने के बाद से शुरू हुई हिंसा में भाजपा ने 25 से अधिक कार्यकर्ताओं व स्थानीय नेताओं की हत्या का आऱोप लगाया है। इन्हीं में से दो भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार और प्रशासन की शह पर ही विपक्षी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा हुई। इसलिए सुप्रीम कोर्ट दोनों हत्याओं और हिंसा के दूसरे मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपे या फिर इसके लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन करे।
दो मई को जब बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे, तभी कोलकाता में भाजपा के दो कार्यकर्ताओं अभिजीत सरकार और हरन अधिकारी की हत्या कर दी गई थी। मामले में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के शामिल होने का आरोप है। अविजीत सरकार ने अपनी हत्या से पहले फेसबुक लाइव पर अपनी जान को खतरे की बात भी बताई थी। आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की तरफ से की जा रही हिंसा पर अपनी आंखें बंद रखीं। जिसके चलते अभिजीत और हरन की हत्या हो गई।
सुप्रीम कोर्ट में अविजीत सरकार के भाई बिश्वजीत सरकार और हरण अधिकारी की पत्नी स्वर्णलता अधिकारी ने याचिका दाखिल की है। दोनों की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने जस्टिस विनीत सरन और बी आर गवई की बेंच में दलीलें रखीं। जेठमलानी ने कहा कि सरकार और पुलिस ने हिंसा को बढ़ावा दिया। इन घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी मौजूद हैं, लेकिन जांच में लीपापोती की जा रही है। इसलिए, यह जरूरी है की इन घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच हो।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि अविजीत सरकार का शव आज तक उनके परिवार को नहीं सौंपा गया है। हम यह भी मांग करते हैं कि शव का अभी दाह संस्कार न किया जाए। उसका पोस्टमार्टम हो और उसकी वीडियोग्राफी भी करवाई जाए। जजों ने थोड़ी देर की सुनवाई के बाद याचिका पर नोटिस जारी कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने बंगाल सरकार, राज्य के पुलिस महानिदेशक, केंद्र सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को प्रतिवादी बनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील को यह निर्देश दिया कि वह याचिका की कॉपी प्रतिवादियों को सौंप दें, ताकि वह जवाब दे सकें। मामले पर मंगलवार, 25 मई को आगे सुनवाई होगी।
यहां बताते चलें कि इससे पहले चुनाव बाह हुई हिंसा और हत्याओं की जांच के लिए एसआइटी गठित करने की मांग करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसे हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि राज्य सरकार हिंसा रोकने के लिए अच्छा कार्य किया है।