दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ बॉर्डर मैनेजमेंट की मिसाल पेश करने वाले बीएसएफ आइजी अश्विनी कुमार सिंह का स्थानांतरण

मिसाल एक साल के ही कार्यकाल में बॉर्डर मैनेजमेंट को उच्च स्तर पर ले जाकर पेश की मिसाल अब दिल्ली में बीएसएफ मुख्यालय में देंगे सेवा। बीएसएफ कैडर के अनुभवी अधिकारी सिंह ने 37 साल के शानदार करियर में बल में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 11:50 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 11:50 AM (IST)
दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ बॉर्डर मैनेजमेंट की मिसाल पेश करने वाले बीएसएफ आइजी अश्विनी कुमार सिंह का स्थानांतरण
बीएसएफ आइजी अश्विनी कुमार सिंह का स्थानांतरण

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बहादुर प्रहरी देश की सीमा पर सीना तान के खड़े हैं, ताकि देश का हर नागरिक अमन चैन की नींद सो सके। बीएसएफ का ज्यादातर सीमावर्ती इलाका कठिनाइयों से भरा है, लेकिन उसमें बांग्लादेश से लगता 913 किलोमीटर लंबा दक्षिण बंगाल फ्रंटियर का सीमावर्ती इलाका ड्यूटी के लिहाज से अति दुर्गम माना जाता है।

भौगोलिक जटिलताओं के साथ तस्करी व घुसपैठ के लिए यह बॉर्डर इलाका दर्शकों से कुख्यात रहा है। ऐसे में इस बॉर्डर को कमांड करना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। परंतु, तमाम चुनौतियों को स्वीकार करते हुए महानिरीक्षक (आइजी) अश्विनी कुमार सिंह ने दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय, कोलकाता के लगभग एक साल के अपने कार्यकाल में उत्कृष्टता का परचम लहराते हुए बॉर्डर मैनेजमेंट के स्तर को उच्च मानक पर ले जाकर एक मिसाल पेश की है।

इस चुनौतीपूर्ण कमान को संभालते हुए सर्वश्रेष्ठ बॉर्डर सुरक्षा प्रबंधन के साथ खासकर इस सीमा से मवेशियों व अन्य सामानों की तस्करी पर पूरी तरह नकेल कसकर अमिट छाप छोड़ने और इस फ्रंटियर के इतिहास में स्वर्णिम योगदान देने वाले आइजी सिंह का अब दिल्ली में स्थानांतरण हो गया है। अब वह बीएसएफ मुख्यालय, दिल्ली में महानिरीक्षक (आइटीसी) के रूप में जिम्मेदारी निभाएंगे।

बीएसएफ के 1984 बैच के वरिष्ठ अधिकारी सिंह चार महीने बाद नवंबर, 2021 में सेवानिवृत्त भी होने वाले हैं। उनके स्थान पर हिमाचल प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी अनुराग गर्ग को दक्षिण बंगाल फ्रंटियर का महानिरीक्षक बनाया गया है जो 24 जुलाई, शनिवार को पदभार संभालेंगे। बीएसएफ की ओर से एक बयान में बताया गया कि श्री सिंह ने इस सीमांत मुख्यालय की कमान 29 जून, 2020 को संभाली थी। इस चुनौतीपूर्ण कमान को संभालते हुए इन्होंने अतुल्य योगदान दिया और इस फ्रंटियर के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया है।

बॉर्डर मैनेजमेंट के स्तर को उच्च स्तर पर ले गए, ज्यादा से ज्यादा ऑपरेशन चलाकर तस्करों पर कसी नकेल

बीएसएफ प्रवक्ता ने बताया कि श्री सिंह ने इस फ्रंटियर की कमान अपने हाथ में लेते ही सबसे पहले बॉर्डर मैनेजमेंट के प्रति कवायद शुरू कर दी थी। बॉर्डर मैनेजमेंट में इनका सालों का अनुभव बहुत मददगार साबित हुआ। इन्होंने सीमा पर जवानों के साथ- साथ सीमावर्ती ग्रामीणों को भी सुरक्षा की भावना का अहसास दिलाया। इन्होंने फ्रंटियर के इलाके में बॉर्डर मैनेजमेंट को एक अलग ही पहचान देकर उच्च स्तर पर ले गए। अपने एक साल के स्वर्णिम कार्यकाल के दौरान इन्होंने सिस्टर एजेंसियों के साथ सीमावर्ती इलाकों में ज्यादा से ज्यादा ऑपरेशन चलाकार बॉर्डर पर मवेशियों, गोल्ड, सिल्वर और दुर्लभ पक्षियों जैसी तस्करी को रोककर तस्करों पर नकेल कस दी है। सिंह ने टीम बनाकर काम करने पर भी जोर दिया।

शारीरिक दक्षता उच्च बनाने के लिए जवानों की फिटनेस पर दिया विशेष ध्यान 

 

उन्होंने जवानों की फिटनेस पर भी विशेष ध्यान दिया, जिसके लिए इन्होंने फिट इंडिया मूवमेंट के तहत 10 किलोमीटर दौड़ का कई बार आयोजन किया। मुख्यालय के अंतर्गत सभी बटालियन को भी इस मूवमेंट में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। शारीरिक फिटनेस को लेकर इन्होंने एक नारा भी दिया इसमें उन्होंने कहा कि "भले ही 10 किलोमीटर दौड़ने से आपके शरीर में आज कोई बदलाव न हो लेकिन शारीरिक दक्षता उच्च कोटि की बनाने के लिए यह एक शुरुआत है।"

पहली बार मानव तस्करी के इतने मामले पकड़े गए

मुख्यालय के इतिहास में इनका एक योगदान यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हो रहे मानव तस्करी जैसे जधन्य अपराध को रोकने के लिए इन्होंने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को बॉर्डर पर तैनात करने के लिए भी प्राथमिकता दिखाई। जिसके लिए इन्होंने दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के बॉर्डर के इलाके में संदिग्ध मानव तस्करी के जगहों को चिन्हित कर ऐसी सात यूनिटों को बॉर्डर पर तैनात किया। जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मानव तस्करी के मामलों को उजागर कर इस साल अभी तक 24 केस में 27 पीड़ितों (23 महिलाओं व चार नाबालिग लड़कियों) के भविष्य को बचाया और 26 मानव तस्करों (दलालों) को भी अपनी गिरफ्त में लिया। ये दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के इतिहास में पहली बार हुआ है की इस प्रकार के जघन्य अपराध पर पूर्णतया अंकुश लग सका। बीएसएफ के इस साहसिक कदम के लिए सभी एनजीओ इसे एक सकारात्मक सोच का परिणाम बता रहे हैं।

कोविड महामारी के दौरान कठिन परिस्थितियों में भी सीमा पर जवानों का मनोबल बढ़ाया

श्री सिंह के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर की कमान संभालते ही उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी वैश्विक कोविड महामारी जिसमें एक तरफ जवानों को सीमा पर डटे रहकर देश की सुरक्षा में अहम योगदान देना था तो दूसरी तरफ इस महामारी से अपने आप को व सीमावर्ती ग्रामीणों को भी बचाना था। इन्होंने सीमा पर जवानों के बीच जाकर जवानों का मनोबल बढ़ाया और साथ ही साथ सीमावर्ती इलाके में लॉकडाउन की स्थिति में घर–घर खाना भी पहुंचवाया। सभी बटालियन को आदेश भी दिए कि ग्रामीणों को महामारी से बचने के लिए जागरूक करें और बचाव संबंधित सामान मुहैया कराए।

डॉमिनेशन लाइन पर दिया विशेष ध्यान, खाली गैप को भरने के लिए केंद्र को लिखा पत्र

श्री सिंह ने अंतरराष्ट्रीय सीमा को मजबूत बनाने के लिए डोमिनेशन लाइन पर विशेष ध्यान दिया। डोमिनेशन लाइन पर इन्होंने बिजली के नए पोल स्थापित किए जिससे बीएसएफ के सजग प्रहारियो को ड्यूटी करने में सुविधा हुई। साथ ही बीएसएफ की डोमिनेशन लाइन को मजबूत बनाने में सफलता मिली। जहां पर तारबंदी नहीं है वहां पर तारबंदी लगाने के लिए केंद्र से इन्होंने पत्र लिखकर सिफारिश भी की। जवानों के आराम और सुख सुविधा के लिए बॉर्डर पर आधुनिक सीमा चौकियों का कार्य जल्दी पूरा करवाया तथा उनका उद्घाटन भी किया।

तारबंदी से आगे जवानों को किया तैनात, चलाया शून्य तस्करी अभियान

ये किसी से अछूता नहीं रहा है कि यह इलाका तस्करी का गढ़ माना जाता रहा है। श्री सिंह ने मुख्यालय की बागडोर संभालते ही तस्करी को शून्य करने के लिए शून्य तस्करी अभियान चलाया, जिसके तहत अपने सीमांत के क्षेत्र में जवानों को तारबंदी से आगे तैनात किया। नदी में स्पीड बोटो की संख्या बढ़ा दी, संदिग्ध जगहों पर रात्रि कैमरे लगाकर तस्करो की कमर तोड़ दी, जिसका परिणाम इतना जबरदस्त था की तस्करी शून्य स्तर पर आ गई।

बंगाल चुनाव में फोर्स कोर्डिनेटर की अहम जिम्मेदारी भी संभाली

श्री सिंह की उपलब्धियों व उत्कृष्टता बंगाल तक ही सीमित न रही, इनकी कार्यशैली व वर्चस्व का डंका केंद्र में भी बजा। जिसके लिए इन्हें हाल में संपन्न बंगाल विधानसभा चुनाव में फोर्स कोर्डिनेटर बनाया गया था। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को भी इन्होंने बखूबी निभाकर बल की गरिमा को और अधिक बढ़ाया।

ऐतिहासिक मैत्री साइकिल रैली के आयोजन में दिया भरपूर योगदान

श्री सिंह ने भारत- बांग्लादेश के आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बीएसएफ द्वारा बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के जन्म शताब्दी समारोह "मुजीब बोरशो" पर इस साल की शुरुआत में आयोजित की गई 4,097 किलोमीटर लंबी ऐतिहासिक 'मैत्री साइकिल रैली' में भी आगे बढ़कर हिस्सा लिया। यह साइकिल रैली भारत- बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक बॉर्डर रोड से गुजरी। 10 जनवरी से 17 मार्च के बीच यह रैली आयोजित हुई थी।

जवानों के मोरल/मोटिवेशन पर दिया विशेष ध्यान

श्री सिंह के बारे में कहा जाता है कि यह जवानों के बीच जाकर हमेशा उनका मोटिवेशन व देश के प्रति भावना को बढ़ाते रहते हैं। उन्हें बताया की धूप हो या छांव, आंधी हो या तूफान, दिन हो या रात बीएसएफ के जवान सीमा पर डटे रहकर अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करते हैं। जिसके लिए मोटिवेशन बहुत जरूरी है। इसीलिए वे बराबार सीमा पर जाकर जवानों को प्रोत्साहित करते रहते थे।

बीएसएफ में 37 साल की सेवा में कई महत्वपूर्ण पदों पर कर चुके हैं काम

उल्लेखनीय है कि मूल रूप से बिहार के रहने वाले व बीएसएफ कैडर के अनुभवी अधिकारी सिंह ने 37 साल के शानदार करियर में बल में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। इनमें उत्तर पूर्व में सेक्टर की कमान, बीएसएफ एयर विंग, ओडिशा में नक्सल क्षेत्र व अन्य की कमान तथा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप में एक कार्यकाल शामिल है। दक्षिण बंगाल से पहले वह उत्तर बंगाल फ्रंटियर की कमान संभाल रहे थे। बीएसएफ में उनकी छवि एक कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार अधिकारी के तौर पर रही है। 

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