Bengal Politics: टीएमसी उम्मीदवार जवाहर सरकार राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित
इस साल की शुरुआत में टीएमसी के पूर्व नेता दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा की सीट खाली कर दी थी जिसके कारण उपचुनाव की जरूरत हुई। टीएमसी ने पिछले महीने राज्यसभा उपचुनाव के लिए सरकार के नाम की घोषणा की थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। राज्यसभा उपचुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार जवाहर सरकार को सोमवार को पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। राज्य विधानसभा के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सोमवार दोपहर उम्मीदवारी वापस लेने की निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) की ओर से कोई अन्य नामांकन नहीं होने के बाद जवाहर सरकार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया और राज्य विधानसभा में प्रमाण पत्र सौंपा गया। भाजपा ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वह संसद के ऊपरी सदन के उपचुनाव के लिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी, जिससे प्रसार भारती के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जवाहर सरकार के लिए राज्य से निर्विरोध चुने जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
इस साल की शुरुआत में टीएमसी के पूर्व नेता दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा की सीट खाली कर दी थी, जिसके कारण उपचुनाव की जरूरत हुई। टीएमसी ने पिछले महीने राज्यसभा उपचुनाव के लिए सरकार के नाम की घोषणा की थी। त्रिवेदी द्वारा रिक्त सीट पर सरकार के चुने जाने के साथ, राज्यसभा में टीएमसी के सदस्यों की संख्या 11 पर बनी हुई है और वह तीसरा सबसे बड़ा दल है। राज्यसभा में भाजपा के 94 और कांग्रेस के 34 सदस्य हैं।
गौरतलब है कि जवाहर सरकार मोदी सरकार के आलोचक माने जाते हैं। माना जा रहा है कि इसी को देखते हुए मोदी सरकार व भाजपा की धुर विरोधी ममता ने राज्यसभा के लिए उन्हें नामित कर बड़ा दांव चला है। जवाहर सरकार ने लगभग 42 वर्ष सार्वजनिक सेवा में बिताए और प्रसार भारती के सीईओ भी रहे।
जवाहर सरकार ने पिछले दिनों कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकनायकत्व व सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि बंगाल विधानसभा में तृणमूल के अलावा सिर्फ दो ही दलों के विधायक हैं भाजपा व आइएसएफ। मुझे नहीं लगता कि वे दोनों पार्टियां मुझे पसंद करती हैं। मैंने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही प्रसार भारती के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांप्रदायिकता, एकनायकत्व व देशव्यापी आर्थिक व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर पाया था।