Bengal Chunav 2021: भाजपा व तृणमूल को हराने के लिए अपने हिस्से की सीटें भी कांग्रेस को देने को तैयार माकपा

वाममोर्चा ने गठबंधन के तहत कांग्रेस के लिए कम से कम 100 सीटें छोड़ने का मन बना लिया है। हालांकि कांग्रेस की राय जाने बगैर इस मामले में आगे बढ़ना वाम मोर्चा के लिए संभव नहीं है।वाममोर्चा चाहता है कि घटक दलों के बीच आम सहमति बन जाए।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 08:17 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 07:00 PM (IST)
Bengal Chunav 2021: भाजपा व तृणमूल को हराने के लिए अपने हिस्से की सीटें भी कांग्रेस को देने को तैयार माकपा
वाममोर्चा अपने हिस्से की सीटें भी कांग्रेस को देने के लिए तैयार

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और उसे कड़ी टक्कर दे रही भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए वाममोर्चा अपने हिस्से की सीटें भी अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को देने के लिए तैयार है। कांग्रेस-वाममोर्चा एक बार फिर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन की सीटों का फॉर्मूला अभी तय नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक वाममोर्चा चाहता है कि इस मामले में घटक दलों के बीच आम सहमति बन जाए। ताकि कार्यकर्ता और नेता पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में उतर जाएं। 

सूत्रों के मुताबिक वाममोर्चा ने गठबंधन के तहत कांग्रेस के लिए कम से कम 100 सीटें छोड़ने का मन बना लिया है। हालांकि, कांग्रेस की राय जाने बगैर इस मामले में आगे बढ़ना वाम मोर्चा के लिए संभव नहीं है। माकपा सूत्रों का कहना है कि पिछली बार तृणमूल के साथ वाम दलों और कांग्रेस के बीच लगभग सीधी लड़ाई थी। इस बार भाजपा को रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।’ इसलिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बाहर, जहां भी उनके पास जितनी शक्ति है, वे एक छत के नीचे आकर दोनों दलों को हराने का हर संभव प्रयास करेंगे। पिछली बार कई स्वतंत्र उम्मीदवारों को भी समर्थन कांग्रेस व वाममोर्चा की ओर से दिया गया था।

बहुत ज्यादा सीटों पर कांग्रेस का फोकस नहीं

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, बिहार चुनाव के बाद एआइसीसी का रवैया यह है कि वे बहुत अधिक सीटों पर जोर न दें। कांग्रेस के लिए सकारात्मक सीटों पर ध्यान केंद्रित करें। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा बातचीत के लिए नियुक्त समिति के दो सदस्य अब्दुल मन्नान और प्रदीप भट्टाचार्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की मौजूदगी में सीटों पर पुख्ता निर्णय करना चाहते हैं, ताकि बार-बार बेनतीजा बैठक न हो, क्योंकि इससे जनता में गलत संदेश जाता है।

अब्बास सिद्दीकी की भी मदद से परहेज नहीं

इस बार भी, माकपा लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष व्यक्तियों या संगठनों के लिए जगह बनाना चाहती है। अगर फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी स्वीकार्य शर्तों पर एक समझौते पर आते हैं, तो उनके लिए जगह आरक्षित होगी। लेकिन, सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस आखिर में कितनी सीटों की मांग करती है। वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बसु और वरिष्ठ माकपा नेता सूर्यकांत मिश्रा अब कांग्रेस का पक्ष जानने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि जटिलताओं को खत्म करने पर काम शुरू किया जा सके। एआइसीसी ने प्रदेश कांग्रेस को जनवरी तक गठबंधन की प्रक्रिया पूरी करने का संदेश दिया है।

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