दुर्घटना में महिला के सीने में घुसी रॉड, डॉक्टर ने चार घंटे की सर्जरी के बाद निकाली

बाइक व ऑटो की आमने-सामने की टक्‍कर में ऑटो का रॉड तुहिना के सीने में दाहिनी ओर घुसा और उसकी पीठ के बायीं तरफ निकल गया। महिला की करीब साढ़े चार घंटे तक जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने जान बचाई।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 08:23 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 08:25 AM (IST)
दुर्घटना में महिला के सीने में घुसी रॉड, डॉक्टर ने चार घंटे की सर्जरी के बाद निकाली
दुर्घटना में महिला के सीने में घुसी रॉड

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। एसएसकेएम हॉस्पिटल में एक महिला की करीब साढ़े चार घंटे तक जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने जान बचाई। दरअसल वह बाइक व ऑटो की टक्कर में ऑटो का रॉड उसके सीने और पीठ में जा लगा। महिला के फेफड़े और लीवर पर भी इसका असर पड़ा था। यहां तक ​​कि रीढ़ की हड्डी में भी रॉड पहुंच गया था। फेफड़े पर प्रभाव के कारण उन्हें सांस लेने में गंभीर तकलीफ हो रही थी। आखिर में एसएसकेएम के डॉक्टरों की वजह से उनकी जान बच गई।

 क्या है घटना

उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली की रहने वाली तुहिना मोल्ला बाइक से नवझूड़ी गांव स्थित अपने पिता के घर जा रही थी। इसी दौरान बाइक व ऑटो में आमने-सामने टक्कर हो गई। हादसे में ऑटो का रॉड तुहिना के सीने में दाहिनी ओर घुसा और उसकी पीठ के बायीं तरफ निकल गया। हालांकि रॉड का एक हिस्सा अभी भी ऑटो में फंसा हुआ था। उसे तुरंत आरी से काटकर स्थानीय अस्पताल ले जाया गया। उसे यहां से कोलकाता के एसएसकेएम ले जाने की सलाह दी गई, क्योंकि स्थानीय अस्पताल में सर्जिकल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था। उन्हें अस्पताल के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था।

एक्स-रे करके देखा गया कि फेफड़े, यकृत और रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई है। देर रात 12 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़ों में 4 छोटे-छोटे छेद थे। बहुत खून बह रहा था। एक तरफ सांस फूलना और दूसरी तरफ खून बहना, कुल मिलाकर मरीज को बचाना मुश्किल होता जा रहा था। लेकिन एसएसकेएम के डॉक्टरों ने उस मुश्किल चुनौती को स्वीकार कर लिया।

कार्डियोथोरेसिक एंडोवास्कुलर सर्जरी के प्रोफेसर. सुभेंदुशेखर महापात्र के नेतृत्व में डॉ. चैताली सेन, डॉ. संदीप कुमार कर, डॉ. ऋत्विका मजूमदार और डॉ. रणमिता पाल ने ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन सुबह चार बजे समाप्त हुआ। ऑपरेशन के लिए चार यूनिट रक्त की जरूरत थी। सांस की तकलीफ को दूर करने के लिए रोगी का ऑपरेशन पीठ के बल की स्थिति में नहीं किया गया। ऑपरेशन आमतौर पर पीठ के बल लेटाकर ही किया जाता है। इस बार डॉक्टर विपरीत दिशा में चले गए।

डॉ. शुभेंदु शेखर महापात्र ने कहा कि अगर अस्पताल लाए जाने से पहले रॉड को हाथ से सड़क पर खींच लिया जाता तो मरीज को बचाना संभव नहीं होता। क्योंकि सड़क पर काफी खून बह रहा था। चूंकि सारा सामान ऑपरेशन टेबल पर था, खून पहले से ही उपलब्ध था। मरीज की रक्त वाहिकाएं भी क्षतिग्रस्त हो गई थीं, डॉक्टर ने कहा कि उन्हें सिल दिया गया था। एक अन्य डॉक्टर संदीप कुमार कर ने कहा कि ऑपरेशन तड़के सुबह समाप्त हो गया। दोपहर में मरीज को होश आया। उसके बाद भी हम 48 घंटे निगरानी कर रहे हैं। यह देखा जाएगा कि फेफड़ों से खून बह रहा है या नहीं।

ऑपरेशन के बाद चार घंटे तक मरीज को वेंटिलेशन पर रखा गया था। हालांकि, रोगी को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी और रीढ़ की हड्डी को गंभीर नुकसान हुआ। ऐसे में सवाल बना हुआ है कि क्या वह भविष्य में  अपने पैरों पर खड़ी हो पाएगी या नहीं। हालांकि इस पर एसएसकेएम के न्यूरो विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।

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