बेलूर मठ में अलग दिखीं दुर्गा अष्टमी पर होने वाली ऐतिहासिक कुमारी पूजा, 1901 में स्वामी विवेकानंद ने की थी शुरुआत

कोविड प्रतिबंधों के चलते महाअष्टमी के दिन इस बार भी वीरान नजर आया बेलूर मठ महाअष्टमी के दिन बेलूर मठ में कुमारी कन्याओं की पूजा की परंपरा रही हैजिसे देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते थे लेकिन इस बार करोना के कारण लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहा।

By Priti JhaEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 03:44 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 03:44 PM (IST)
बेलूर मठ में अलग दिखीं दुर्गा अष्टमी पर होने वाली ऐतिहासिक कुमारी पूजा, 1901 में स्वामी विवेकानंद ने की थी शुरुआत
महाष्टमी पर बुधवार को बेलूर मठ में कुमारी पूजा करते रामकृष्ण मिशन के सन्यासी।

कोलकाता, राजीव कुमार झा। लगातार दूसरे वर्ष कोरोना का असर रामकृष्ण मिशन के वैश्विक मुख्यालय बेलूर मठ में दुर्गा पूजा महाष्टमी के दिन आयोजित होने वाली 120 साल पुरानी ऐतिहासिक कुमारी पूजा पर इस बार भी देखने को मिला। तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर कोविड प्रोटोकाल का पूरा पालन करते हुए सीमित दायरे में बिना किसी भीड़भाड़ के कुमारी पूजा का आयोजन बुधवार को संपन्न हुआ। गौरतलब है कि महाअष्टमी के दिन बेलूर मठ में कुमारी कन्याओं की पूजा की परंपरा रही है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते थे लेकिन इस बार भी करोना संक्रमण के कारण आम लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहा।

जहां पहले भक्तों के बैठने के लिए व दुर्गा पूजा के लिए बेलूर मठ में बड़े पंडाल का निर्माण किया जाता था, वहीं इस बार भी मंदिर के ऊपर ही छोटे से मंडप को तैयार कर कुमारी पूजा का आयोजन किया गया। इस बार कुमारी पूजा के लिए शरण्या चक्रवर्ती चयनित की गईं थी जिनकी पूजा बेलूर मठ के सन्यासियों ने पूरे विधि विधान से कीं। वहीं हर साल इसे देखने के लिए लोगों से खचाखच भरे रहने वाला बेलूर मठ इस बार भी वीरान सा नजर आया।सन्यासियों और मीडिया कर्मियों सहित कुछ गिने-चुने लोग ही मठ में इस दिन दिखे, जिन्हें प्रवेश की अनुमति थी। गौरतलब है कि साल 1901 में स्वामी विवेकानंद ने अष्टमी के दिन बेलूर मठ में कुमारी पूजा की शुरुआत की थी। तब से यह परंपरा चली आ रही है। भक्तों के लिए यहां की कुमारी पूजा हर साल आकर्षण का केंद्र रहा है।

कुमारी पूजा का किया गया सजीव प्रसारण

हावड़ा, कोलकाता सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग इसे देखने के लिए आते थे। लेकिन इस बार भी यहां लोगों को आने की इजाजत नहीं थी। हालांकि बेलूर मठ प्रबंधन ने सदी पुरानी कुमारी पूजा की परंपरा का इस बार भी सजीव प्रसारण किया। इसके लिए मठ प्रबंधन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई थी। बड़ी संख्या में लोगों ने वर्चुअल माध्यम से ही कुमारी पूजा का आनंद उठाया। 

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