स्वर्णिम विजय मशाल का बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय में भव्य स्वागत

1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत की प्रतीक स्वर्णिम विजय मशाल सोमवार को कोलकाता में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय में पहुंची जहां भव्य स्वाग्त किया गया। मशाल को देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए रवाना किया था।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 10:23 PM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 10:23 PM (IST)
स्वर्णिम विजय मशाल का बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय में भव्य स्वागत
कोलकाता में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय में पहुंची स्वर्णिम विजय मशाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत की प्रतीक स्वर्णिम विजय मशाल सोमवार को कोलकाता में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय में पहुंची, जहां भव्य स्वाग्त किया गया। 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने पर देश में मनाए जा रहे स्वर्णिम विजय वर्ष के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर, 2020 को दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से स्वर्णिम विजय मशाल को देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए रवाना किया था।

ऐतिहासिक स्थानों पर विजय मशाल काे कराया भ्रमण

यह विजय मशाल पिछले करीब 10 दिनों पहले कोलकाता पहुंची और सैन्य दलों की ओर से तीनों सशस्त्र सेनाओं के प्रतिष्ठानों सहित अन्य सरकारी और ऐतिहासिक स्थानों पर इसे भ्रमण कराया जा रहा है। इसी कड़ी में विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा करते हुए यह विजय मशाल कोलकाता के राजरहाट स्थित बीएसएफ, दक्षिण बंगाल के मुख्यालय में पहुंचीं। मशाल लेकर आए भारतीय सेना के कर्नल पार्था ए पथराडू, कमान अधिकारी, 20 मद्रास बटालियन, मेजर हगे कपा, जेसीओ व अन्य साथियों का यहां बीएसएफ अधिकारियों ने भव्य स्वागत किया गया।

भारतीय सशस्त्र बल व बीएसएफ का योगदान याद किया

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ के महानिरीक्षक (आइजी) अश्विनी कुमार सिंह ने विजय मशाल को रिसीव किया। इस दौरान विजय मशाल के आगमन व 1971 के योद्धाओं के सम्मान में गन सैल्यूट देने के साथ बीएसएफ की बैंड पार्टी ने शानदार बैंड प्रस्तुत किया। इस मौके पर आइजी अश्विनी कुमार सिंह ने 1971 की लड़ाई में भारतीय सशस्त्र बलों और बीएसएफ के योगदानों को याद किया और इसमें जान गंवाने वाले योद्धाओं को नमन किया। इस मौके पर डीआइजी (पीएसओ) अजीत कुमार टेटे, डीआइजी व प्रवक्ता सुरजीत सिंह गुलेरिया सहित बीएसएफ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। 

1971 के युद्ध में बीएसएफ का रहा है अतुलनीय योगदान 

 उल्लेखनीय है कि 1971 की लड़ाई में भारतीय सेना के साथ सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों एवं जवानों ने कंधे से कंधा मिलाकर विजय हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। सीमा सुरक्षा बल ने बांगलादेश के मुक्तिवाहिनी को इस युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया, साथ ही संघर्ष की रूपरेखा तैयार करने मे अहम भूमिका अदा की। आइजी ने अपने संबोधन में कहा कि इस युद्ध के दौरान बीएसएफ के  125 जवान वीरगति को प्राप्त हुए, 392 घायल हुए तथा 133 लापता हुए। सीमा सुरक्षा बल के 23 बटालियन ने इस युद्ध मे भाग लिया तथा 12 अधिकारियों एवं जवानों को युद्ध का हीरो (वार हीरो) घोषित किया गया था।

स्वॢणम विजय मशाल मेजर हगे कपा को वापस सौंप दिया

1971 के युद्ध में अतुलनीय योगदान व अदम्य वीरता के लिए बीएसएफ को दो पद्म भूषम, दो पद्म श्री, एक परमविशिष्ट सेवा मेडल, एक महावीर चक्र, एक अतिविशिष्ट सेवा मेडल, 11 वीर चक्र, 46 सेना मेडल, पांच विशिष्ट सेवा मेडल, 44 मेंशन इन डिस्पैच तथा 63 अन्य मेडलों से सम्मानित किया गया था। सीमा सुरक्षा बल द्वारा 1971 की लड़ाई में प्रथम पंक्ति में रहकर युद्ध का सामना करने  तथा युद्ध में भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सफलता प्राप्ति में शूरवीरता एवं कर्तव्यनिष्ठा के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सीमा सुरक्षा बल का आभार व्यक्त किया था। कार्यक्रम के बाद महानिरीक्षक अश्विनी कुमार सिंह ने स्वॢणम विजय मशाल को मेजर हगे कपा को वापस सौंप दिया।

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