बिना विधायक पद छोड़े तृणमूल में शामिल मुकुल रॉय के खिलाफ सुवेंदु ने स्पीकर को भेजा पत्र, विस सदस्यता खारिज हो
Suvendu Adhikari sent letter विधायक पद से इस्तीफा दिए बिना भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी करने वाले मुकुल रॉय की सदस्यता खारिज करने के लिए नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी को पत्र लिखा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः विधायक पद से इस्तीफा दिए बिना भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी करने वाले मुकुल रॉय की सदस्यता खारिज करने के लिए नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी को पत्र लिखा है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी से लिखित शिकायत की है कि नदिया जिले के कृष्णानगर उत्तर के विधायक के तौर पर जीत दर्ज करने वाले मुकुल रॉय पिछले सप्ताह शुक्रवार को भाजपा छो़ड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
विधायक पद से इस्तीफा दिए बगैर उनके पार्टी बदलने को लेकर उनके खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की जाए। बताते चलें कि चार दिन पहले सुवेंदु ने कहा था कि यदि मुकुल रॉय ने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया तो वह दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत करूंगा।
सुवेंदु यह भी चेतावनी दी है कि मुकुल रॉय ने जो किया है वह दलबदल विरोधी कानून का पालन नहीं करता। दो महीने, तीन महीने में मैं इस कानून को विपक्ष के नेता के रूप में बंगाल में लागू कराकर रहूंगा। उन्होंने इस बारे में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से भी बात की। उन्होंने कहा कि न केवल विधायक का पद, बल्कि भाजपा के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष का भी पद है। उसके बाद अब उन्होंने मुकुल के खिलाफ कार्रवाई करने की लिखित मांग की है। दूसरी ओर, बीजेपी नेता स्वपन दासगुप्ता ने ट्वीट कर मुकुल रॉय से इस्तीफे की मांग की। उन्होंने लिखा कि पिछले हफ्ते मुकुल रॉय ममता बनर्जी की उपस्थिति में तृणमूल में शामिल हुए हैं।
उनके दलबदल पर कोई अस्पष्टता नहीं है। राजनीति अपना काम करेगी, लेकिन कानून की मांग है कि वह भाजपा के चुनाव चिह्न पर जीते हैं इसीलिए वह विधायक पद से इस्तीफा दें। वह भाजपा शामिल होने से पहले 2017 में जिस तरह से राज्यसभा से इस्तीफा दिया था वही नियम उन्होंने यहां क्यों नहीं माना।
बताते चलें कि सांसद शिशिर अधिकारी व सुनील मंडल तृणमूल छोड़कर पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद से तृणमूल की ओर से लोकसभा अध्यक्ष से पत्र लिखकर व टेलीफोन पर दोनों की सदस्यता खारिज करने की मांग की जा रही है। अब भाजपा भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है।