सुप्रीम कोर्ट नारद स्टिंग कांड में बंगाल के कानून मंत्री की अपील पर 22 जून को करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट नारद स्टिंग कांड में बंगाल के कानून मंत्री मलय घटक की अपील पर 22 जून को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की अवकाशकालीन पीठ ने हाईकोर्ट से सोमवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं करने को कहा है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 09:22 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 09:22 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट नारद स्टिंग कांड में बंगाल के कानून मंत्री की अपील पर 22 जून को करेगा सुनवाई
अदालत 17 मई की घटना से संबंधित व्यक्तियों की भूमिका पर विचार कर रही है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट नारद स्टिंग कांड में बंगाल के कानून मंत्री मलय घटक की अपील पर 22 जून को सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि मलय घटक ने नारद कांड में टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी वाले दिन मुख्यमंत्री व अपनी भूमिका को लेकर दाखिल हलफनामे पर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा विचार करने से इन्कार कर दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की अवकाशकालीन पीठ ने हाईकोर्ट से सोमवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं करने को कहा है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गत नौ जून को नारद स्टिंग मामले को सीबीआइ की विशेष अदालत से हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सीबीआइ की अर्जी पर सुनवाई की थी। पीठ ने कहा था कि मामले में चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन ममता बनर्जी और मलय घटक की भूमिकाओं के लिए उनके द्वारा पेश हलफनामे पर विचार करने पर बाद में फैसला किया जाएगा।

राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और विकास सिंह ने दलील देते हुए कहा कि हलफनामे को रिकॉर्ड पर लाना जरूरी है क्योंकि अदालत 17 मई की घटना से संबंधित व्यक्तियों की भूमिका पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि ममता व मलय पर 17 मई को चारों नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ को अपना वैधानिक कर्तव्य निभाने में अड़चन डालने का आरोप लगा है। विकास सिंह ने कहा कि नियमों के तहत हलफनामा दाखिल करने का अधिकार है।

सीबीआइ ने तीन हलफनामे दाखिल किए और अदालत से इसकी अनुमति नहीं ली थी। हाईकोर्ट ने नौ जून को ममता और मलय के हलफनामे पर बाद में विचार करने का फैसला किया था। नारद स्टिंग मामले को सीबीआइ की विशेष अदालत से उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने के लिए दाखिल एक याचिका में मुख्यमंत्री और कानूनी मंत्री को पक्षकार बनाया गया है। सीबीआइ ने दावा किया था कि चारों आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में सीबीआइ कार्यालय में धरना देने लगीं, वहीं मलय घटक बैंकशाल अदालत परिसर में मौजूद थे, जहां सीबीआइ की विशेष अदालत में डिजिटल तरीके से मामले की सुनवाई हो रही थी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने नारद स्टिंग मामले में मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयरशोभन चटर्जी को गिरफ्तार किया था।

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