बंगाल सरकार को झटका, केंद्रीय कानून रेरा के बजाए बनाए गए कानून को सुप्रीम कोर्ट ने बताया असंवैधानिक

फैसला-बंगाल सरकार को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कड़ा झटका लगा है। वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्रीज रेगुलेशन एक्ट (हीरा) 2017 को निरस्त कर दिया है। सूबे के रियल एस्टेट डेवलपर्स ने कहा- उद्योग पर नहीं पड़ेगा कोई असर दोनों कानूनों में समानताएं। फैसले पर बंगाल सरकार ने नहीं दी प्रतिक्रिया।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 10:24 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 10:29 PM (IST)
बंगाल सरकार को झटका, केंद्रीय कानून रेरा के बजाए बनाए गए कानून को सुप्रीम कोर्ट ने बताया असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फैसले के कारण उपभोक्ताओं या परियोजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।'

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल सरकार को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार की ओर से रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने के लिए बनाए गए केंद्रीय कानून (रेरा), 2016 के स्थान पर 2017 में पारित किए गए वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्रीज रेगुलेशन एक्ट (हीरा), 2017 को निरस्त कर दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने हीरा (कानून) को शून्य और असंवैधानिक करार दिया है। इस पर बंगाल के रियल एस्टेट डेवलपर्स ने कहा है कि इससे उद्योग पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि दोनों कानूनों में काफी समानताएं हैं। हालांकि बंगाल सरकार की ओर से इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। 

पीठ ने अपने आदेश में कहा है, 'यदि संसद ने किसी विषय पर कानून बनाया है, तो राज्य विधानमंडल के लिए समान कानून नहीं बना सकता है। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेगुलेशन एक्ट, 2017 को यह कहते हुए रद कर दिया कि इसने एक समानांतर तंत्र और शासन का निर्माण किया, जो असंगत है। 

शीर्ष अदालत ने कहा, 'राज्य विधायिका ने समानांतर तंत्र लागू करके संसद की विधायी शक्ति पर अतिक्रमण किया है।' साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार का कानून होम बायर्स के हितों की रक्षा करने में असफल रहा है। अदालत ने कहा कि राज्य कानून सीधे तौर पर केंद्रीय कानून के विरुद्ध है। लिहाजा इसे कायम नहीं रखा जा सकता।

एक गैर सरकारी संगठन फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स  ने राज्य कानून की वैधता को चुनौती देते हुए कहा था कि इससे घर खरीदारों को अपूरणीय क्षति हुई है। पश्चिम बंगाल सरकार ने रेरा को लागू करने से इन्कार कर दिया था और अपना कानून बनाया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-142 के तहत मिले विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि हीरा कानून के तहत पूर्व में दी गई हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को अनुमति और प्रतिबंध उसके फैसले से प्रभावित नहीं होंगे।

बंगाल के रियल एस्टेट डेवलपर्स ने कहा- उद्योग पर नहीं पड़ेगा कोई खास असर

-जैन समूह के प्रबंध निदेशक ऋषि जैन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बहुत फर्क नहीं पड़ने वाला है। दोनों कानून वस्तुतः एक ही हैं। आइडियल ग्रुप के प्रबंध निदेशक नकुल हिमत्सिंगका ने कहा, 'हीरा और रेरा बहुत समान कानून थे जिनमें स्थानीय परिस्थितियों में शब्दांकन और समायोजन में छोटे अंतर थे। हम वर्तमान में अनुपालन करते हैं और जो भी कानून लागू होता है, उसका अनुपालन करना जारी रखेंगे।'

ईडेन रियल्टी के प्रबंध निदेशक आर्य सुमंत ने कहा,  'सरकार से इस संबंध में स्पष्टीकरण का इंतजार करना होगा। मेरा मानना ​​है कि जो नियम थे, वे कमोबेश एक जैसे थे और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुरानी परियोजनाओं में समान पंजीकरण जारी है। इसलिए, मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक और अधिसूचना का मामला है और इस फैसले के कारण उपभोक्ताओं या परियोजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।'

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