मैनहोल में मौत होने से राज्य सरकार का इन्कार, हाई कोर्ट में सौंपी गई जांच कमेटी की रिपोर्ट

यह घटना इसी साल कुंदघाट के पास 21 फरवरी को घटी थी।एडवोकेट बनर्जी का कहना है कि चार की मौत के अलावा दो लोग और इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन चारों को निजी ठेकेदार ने पांच लाख देकर घटना को दबाने की कोशिश की।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 10:03 AM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 10:03 AM (IST)
मैनहोल में मौत होने से राज्य सरकार का इन्कार, हाई कोर्ट में सौंपी गई जांच कमेटी की रिपोर्ट
मैनहोल में मौत होने से राज्य सरकार का इन्कार, हाई कोर्ट में सौंपी गई जांच कमेटी की रिपोर्ट

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । मैनहोल में फंसने के कारण चार लोगों की मौत होने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और ज‌स्टिस राजर्षि भारद्वाज के डिविजन बेंच में बुधवार को इसकी सुनवायी के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि मैनहोल में फंसने के कारण उनकी मौत नहीं हुई थी। इसके साथ ही इसकी जांच के लिए बनायी गई इनक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी गई। एडवोकेट रघुनाथ बनर्जी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार की तरफ से दावा किया गया कि कुछ लोग पाइप फिटिंग का काम करने गए थे और उनमें से चार की मौत हो गई थी।

यह घटना इसी साल कुंदघाट के पास 21 फरवरी को घटी थी। एडवोकेट बनर्जी का कहना है कि चार की मौत के अलावा दो लोग और इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन चारों को निजी ठेकेदार ने पांच-पांच लाख रुपए देकर इस घटना को दबाने की कोशिश की थी। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद केंद्र सरकार ने 2013 में एक कानून बना दिया था।

इसके तहत मैनहोल की मैनुअल सफाई नहीं की जा सकती है। इस कानून के मुताबिक अगर इस तरह की कोई दुर्घटना होती है तो मुआ‍वजे के रूप में दस लाख रुपए देने पड़ेंगे। इसके अलावा संबंधित निगम या अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी पड़ेगी। एडवोकेट बनर्जी बताते हैं कि जो मरे थें उनकी उम्र 17-18 साल के आसपास थी। उन्होंने बताया कि उन्हें रिपोर्ट की कापी नहीं दी गई है। डिविजन बेंच ने रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अगली सुनवायी के लिए 22 नवंबर की तारीख तय की है। 

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