एसएससी भर्ती मामले पर हाई कोर्ट में नहीं हो पाई वर्चुअल सुनवाई, सीबीआइ जांच पर खंडपीठ ने लगाई है अंतरिम रोक
तकनीकी समस्या के कारण स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती मामले पर सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई नहीं हो पाई। नेटवर्क की समस्या के कारण मामलाकारियों के अधिवक्ता बिकास रंजन भट्टाचार्य वर्चुअल सुनवाई में शामिल नहीं हो पाए।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तकनीकी समस्या के कारण स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती मामले पर सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई नहीं हो पाई। नेटवर्क की समस्या के कारण मामलाकारियों के अधिवक्ता बिकास रंजन भट्टाचार्य वर्चुअल सुनवाई में शामिल नहीं हो पाए। अब छह दिसंबर को मामले पर सुनवाई होगी। गौरतलब है कि बिकास रंजन भट्टाचार्य माकपा से राज्यसभा सदस्य भी हैं। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के कारण वे इस समय दिल्ली में हैं।
इस कारण उनके वर्चुअली सुनवाई में शामिल होने की बात थी लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण वे इससे नहीं जुड़ पाए। गौरतलब है कि हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एसएससी भर्ती मामले की सीबीआइ जांच पर तीन हफ्ते के लिए अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायाधीश हरीश टंडन व न्यायाधीश रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया था। मामले पर अंतिम सुनवाई आज होने की बात थी। जिन 500 लोगों की अमान्य तरीके से नियुक्ति के आरोप लग रहे हैं, अदालत ने उनसे जुड़े सभी दस्तावेजों को संरक्षित करने का निर्देश दिया था।
साथ ही यह भी कहा था कि मामले से जुड़े सभी पक्ष चाहने पर नए सिरे से अदालत में हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। गौरतलब है कि हाई कोर्ट की एकल पीठ द्वारा सुनाए गए सीबीआइ जांच के फैसले को राज्य सरकार की तरफ से खंडपीठ में चुनौती दी गई है। न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। गौरतलब है कि 2016 में स्कूलों में ग्रुप डी पदों पर करीब 13 हजार नियुक्तियों के लिए एसएससी ने परीक्षा का आयोजन किया था व उम्मीदवारों के साक्षात्कार भी लिए थे। इसके बाद नियुक्तियों के लिए एक पैनल का गठन किया गया था। उस पैनल की मियाद 2019 में खत्म हो गई थी।
आरोप है कि पैनल की मियाद खत्म होने के बाद भी अनियमित तरीके से नियुक्तियां की गईं। अमान्य तरीके से नियुक्तियों को लेकर हाई कोर्ट में मामला किया गया था। अदालत ने इसे लेकर एसएससी सचिव से हलफनामा दाखिल करने को कहा था। उनकी तरफ से दाखिल किए गए हलफनामे पर अदालत ने असंतोष जताया था। मामले से माध्यमिक शिक्षा पर्षद का नाम भी जुड़ा था। अदालत ने पर्षद को भी हलफनामा दाखिल करने को कहा था। दोनों पक्षों के हलफनामे को अपूर्ण पाते हुए हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था।