West Bengal: बंगाल में भाजपा समर्थकों को अब राशन से भी किया जा रहा है वंचितः शमिक भट्टाचार्य
West Bengal बंगाल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य भट्टाचार्य ने दावा किया कि उत्तर 24 परगना दक्षिण 24 परगना हावड़ा समेत कई जिलों में भाजपा समर्थकों को सरकारी राशन दुकानों से राशन नहीं दिया जा रहा है। उन लोगों को राशन दुकानों से भगाया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकात। West Bengal: बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से राज्य के विभिन्न हिस्सों में भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर लगातार हमले व हिंसा की खबरों को लेकर राजनीति इस समय गरम है। इस बीच, अब भाजपा समर्थकों को सरकार द्वारा दिए जा रहे राशन से भी वंचित रखने का मामला सामने आया है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने राज्य सरकार व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर यह गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुनाव नतीजों के बाद बंगाल में जिस प्रकार से प्रतिशोध की राजनीति देखने को मिल रही है, ऐसी घटिया राजनीति देश में और कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंसा के साथ अब भाजपा समर्थकों को अनाज के संकट से गुजरना पड़ रहा है।
भट्टाचार्य ने दावा किया कि उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा समेत कई जिलों में भाजपा समर्थकों को सरकारी राशन दुकानों से राशन नहीं दिया जा रहा है। उन लोगों को राशन दुकानों से भगाया जा रहा है। उनका कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने भाजपा को वोट दिया है। भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि वह तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं हैं। उनको अब थोड़ी मानवता भी दिखानी चाहिए। दूसरी ओर, इस बारे में पूछे जाने पर तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता व वरिष्ठ सांसद सौगत राय ने भाजपा के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार तृणमूल सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार में लगी है।
उन्होंने कहा कि बंगाल में किसी का रंग या तृणमूल, भाजपा अथवा कांग्रेस समर्थक देखकर राशन का वितरण नहीं किया जाता है। जो लोग इसके लिए पात्र हैं, उन सभी को राशन दिया जाता है। बताते चलें कि पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन के समय में भी केंद्र सरकार ने देश के सभी गरीब परिवारों के लिए मुफ्त में राशन भेजा था, लेकिन भाजपा ने आरोप लगाया था कि बंगाल में यह गरीबों को नहीं मिला। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी जोर- शोर से इस मुद्दे को उठाया था कि सत्तारूढ़ दल के लोगों ने गरीबों के राशन को खा लिया। हालांकि तृणमूल इसे खारिज करती रही है।