राजनीतिक संरक्षण में दशकों से फल-फूल रहा था गो तस्करी का कारोबार, बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने कसा शिकंजा

पहली बार सीमा सुरक्षा बल पर भी अंगुलियां उठी हैं। दशकों से चल रही तस्करी को किसका सरंक्षण प्राप्त है? कौन से चेहरे सामने आए हैं? अब क्या स्थिति है? तृणमूल नेता विनय मिश्रा की गिरफ्तारी वारंट से काफी कुछ साफ हो गया

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 10:30 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 10:56 AM (IST)
राजनीतिक संरक्षण में दशकों से फल-फूल रहा था गो तस्करी का कारोबार, बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने कसा शिकंजा
गो व जाली नोटों की तस्करी पर पूरी तरह लगाम कस दी है।

राजीव कुमार झा, कोलकाता। सुरक्षा के लिहाज से बंगाल और बांग्लादेश की सीमा देश के सबसे जटिल सीमा क्षेत्रों में से एक है। यह दशकों से तस्करी का बड़ा केंद्र रहा है लेकिन बंगाल चुनाव के मद्देनजर यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है। बंगाल में बांग्लादेश से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा गो व जाली नोटों की तस्करी के लिए कुख्यात रही है। देशभर में होने वाली गो तस्करी का 70 फीसद अवैध कारोबार को यहीं से अंजाम दिया जाता था।

खासकर दक्षिण बंगाल बॉर्डर के इलाके में दशकों से यह काम चल रहा था। फेंसिंग नहीं होने से इसे रोकना हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। उस पर राजनीतिक संरक्षण की वजह से यहां वर्षों से यह अवैध कारोबार फलताफू लता रहा है। हालांकि इस चुनौतीपूर्ण बॉर्डर की सुरक्षा का दायित्व संभाल रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के जवानों ने दिन-रात डटकर मुकाबला करते हुए तस्करों की कमर तोड़कर रख दी है। बीएसएफ ने कुछ सालों के भीतर यहां गो व जाली नोटों की तस्करी पर पूरी तरह लगाम कस दी है।

बंगाल और बांग्लादेश के करीब आधे सीमा क्षेत्र में अब तक फेंसिंग (बाड़) नहीं है, जो सीमा की रखवाली करने वाले प्रहरियों के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। इस सीमा क्षेत्र से बंगाल के पांच जिले उत्तर व दक्षिण 24 परगना, नदिया, मालदा व मुर्शीदाबाद की सीमा लगती है। यहीं से तस्करी होती है। जागरण

हाल में साल 2020 की उपलब्धियों का ब्योरा पेश करते हुए दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक (आइजी) अश्विनी कुमार सिंह ने दावा किया कि इस क्षेत्र में गो व जाली नोटों की तस्करी का कारोबार अब अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यानी मवेशियों और जाली नोटों की तस्करी में वर्ष 2020 में अब तक की सर्वाधिक कमी दर्ज की गई है। यह एक तरह से शून्य हो गई है। साथ ही अवैध घुसपैठ की घटनाओं में भी भारी कमी आई है और पिछले साल बीएसएफ ने 3,060 बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीमा पार करते हुए पकड़ा था। पिछले कुछ वर्षों में यह सबसे अधिक गिरμतारियां थी। उनके मुताबिक, बीएसएफ द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों, तस्करों के खिलाफ कठोर कार्ररवाई व सीमा पर कड़ी निगरानी की बदौलत दक्षिण बंगाल फ्रंटियर में गो-तस्करी व जाली नोटों का कारोबार एवं घुसपैठ पर शिकंजा कसने में सफलता मिली है। उन्होंने इसका पूरा श्रेय अपने जवानों व अधिकारियों को दिया, जो बेहद कठिन हालात में इस दुर्गम बार्डर पर दिन- रात ड्यूटी करते हैं।

 

उत्तर 24 परगना के पानीतार में बांग्लादेश से लगी खुली सीमा। जागरण

मवेशियों की तस्करी पर पूरी तरह रोक का दावा : बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, पहले भारत से बांग्लादेश में 70 फीसद से अधिक मवेशियों की तस्करी इसी बॉर्डर इलाके से होती थी। लेकिन बीएसएफ ने इसे पूरी तरह बंद करा दिया है। बांग्लादेश सरकार ने भी पिछले दिनों एक रिपोर्ट में दावा किया था कि इस बॉर्डर इलाके से उसके देश में मवेशियों की आमद पूरी तरह बंद हो गई है। 

राजनीतिक संरक्षण में पनपा कारोबार, हजारों करोड़ की बनाई संपति : सूत्रों की मानें तो पकड़े गए ज्यादातर तस्कर बड़े- बड़े तस्करों के लिए काम करते थे। यानी इनामुल हक जैसे कुछ कथित बड़े तस्कर राजनीतिक संरक्षण में इस क्षेत्र में अपना अवैध कारोबार का साम्राज्य वर्षों तक चलाते रहे। इनामुल के बारे में तो कहा जाता है कि उसने गो तस्करी से हजारों करोड़ की संपत्ति बनाई और भारत से लेकर कई देशों में उसका कारोबार फैला है। इनामुल सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस से कथित तौर पर जुड़ा बताया जाता है। इनामुल के बीएसएफ, कस्टम व राज्य पुलिस के कई बड़े अधिकारियों के साथ भी कथित संबंधों का पता चला। इनामुल के साथ संबंधों को लेकर सीबीआइ ने 17 नवंबर, 2020 को बीएसएफ कमांडेंट सतीश कुमार को भी गिरμतार किया था जो अभी जमानत पर हैं। हालांकि इनामुल पर अब सीबीआइ ने शिकंजा कस दिया है और वह कुछ माह से जेल में है।वहीं, कई अन्य बड़े तस्करों के भी कथित तौर पर सत्तारुढ़ दल के साथ संबंधों के आरोप लगते रहे हैं। भाजपा इसे लेकर हमेशा हमलावर रही है।

बीएसएफ र्किमयों के खिलाफ भी कार्रवाई : कुछ वर्ष पहले तक बड़े पैमाने पर गो तस्करी व अन्य गैर कानूनी काम होता था उसमें कथित तौर पर कुछ बीएसएफ अधिकारियों व र्किमयों की भी मिलीभगत सामने आई। हालांकि अब बीएसएफ इसे लेकर बेहद ही सख्त है। अपराधियों से संबंध रखने, मिलीभगत या किसी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। पिछले वर्ष 2020 में बीएसएफ के कुल 35 जवानों पर संदेहास्पद मिलीभगत के आरोप लगाए गए थे, जिसमें विभागीय जांच के बाद एक को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, सात को कड़ी सजा मिली और 17 अन्य से पूछताछ चल रही है। इस कार्रवाई से तस्करों का नेटवर्क टूट गया है।

दुनिया का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है दक्षिण बंगाल का बॉर्डर: बीएसएफ का दक्षिण बंगाल फ्रंटियर बंगाल में भारत- बांग्लादेश बॉर्डर के साथ 913.324 किलोमीटर के क्षेत्र की रखवाली करता है। इसमें 363.930 किलोमीटर लंबी नदी की सीमा और विशाल मैदान के साथ विशाल चरागाह क्षेत्र शामिल है। बीएसएफ आइजी के अनुसार यह इलाका दुनिया के सबसे कठिनतम सीमा में से एक है। यह बहुत ही जटिल सीमा है क्योंकि आबादी सीमा के दोनों ओर एकदम निकटता में रहती है और इसमें समान जातीय और सांस्कृतिक समानताएं हैं जो इसे संवेदनशील बनाती हैं।

गो तस्करी में युवा तृणमूल महासचिव के घर छापेमारी: सीबीआइ ने हाल में गो तस्करी के मामले में युवा तृणमूल कांग्रेस के महासचिव विनय मिश्रा के कई ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। वह अभी फरार चल रहा हैं। दरअसल, विनय मिश्रा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे व तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी के करीबी बताए जाते हैं। सीबीआइ सूत्रों ने तो दावा किया था कि मिश्रा के जरिए ही गो तस्करी का पैसा कोलकाता में कुछ बड़े राजनेताओं तक पहुंचाया जाता था। वैसे भी बिना राजनीतिक गलियारों के सहयोग के ये कारोबार संभव नहीं हो सकता।

दो वर्षों में 1132 तस्करों को पकड़ा: बीएसएफ के अनुसार, पिछले साल इस बॉर्डर क्षेत्र से 517 तस्करों को पकड़ने में सफलता मिली। इनमें सभी प्रकार की वस्तुओं की तस्करी से जुड़े लोग शामिल हैं। सबसे ज्यादा गो तस्कर व फेंसिडिल कफ सिरप के तस्करी से जुड़े तस्करों को पकड़ा गया। इससे पहले साल 2019 में 615 तस्करों को पकड़ा गया था। यानी साल 2019 व 2020 को मिलाकर पिछले दो वर्षों में 1132 तस्करों को पकड़ा गया है।

तृणमूल की हुई किरकिरी: नहीं साबित कर पाए आरोप: बीएसएफ बंगाल में इतनी कठिन सीमा की पूरी ईमानदारी व समर्पण के साथ रखवाली कर रही है लेकिन उस पर हाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने एक खास राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि बीएसएफ सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को डरा- धमकाकर विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए माहौल बनाने का कार्य कर रही है। तृणमूल ने केंद्रीय चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की। हालांकि बीएसएफ से लेकर चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और आम जनमानस में भी बीएसएफ पर आरोप लगाए जाने को लेकर तृणमूल की काफी किरकिरी हुई। बाद में तृणमूल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को सफाई देनी पड़ी कि उन्होंने बीएसएफ पर यह आरोप सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों से मिली शिकायत के आधार पर लगाया था।

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर बीएसएफ के डीआइजी व प्रवक्ता सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि तस्करी अब लगभग बंद हो चुकी है। बता दें कि एक समय बंगाल का सीमावर्ती मालदा जिला जाली नोटों की तस्करी के लिए पूरे देश में कुख्यात था। बांग्लादेश से जाली नोट मालदा ही पहुंचता था और फिर यहां से पूरे देश में इसे भेज दिया जाता था। लेकिन, बीएसएफ ने जाली नोटों की तस्करी से जुड़े कारोबार पर पूरा शिकंजा कस दिया है।

कोलकाता के बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के आइजी अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि दक्षिण बंगाल बॉर्डर इलाके में गो तस्करी व जाली नोटों की तस्करी का कारोबार अब लगभग पूरी तरह बंद हो गया है। पिछले साल यह सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। अवैध घुसपैठ पर भी हमने शिकंजा कस दिया है। सीमा पर हम कड़ी निगरानी रख रहे हैं, जिसके फलस्वरूप यह संभव हुआ है।

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