West Bengal: सुंदरवन में लगातार सात दिन सात लोग बाघों के हुए शिकार, मरने वाले सभी मछुआरे
रोजगार नहीं होने के कारण स्थानीय मछुआरे अपनी जान जोखिम में डालकर केकड़ा पकड़ने उन जगहों पर जाते हैं जहां पर बाघ पानी पीने आते हैं। सुंदरवन का रॉयल बंगाल टाइगर पूरी दुनिया में विख्यात है।कोरोना से पहले दुनियाभर से लोग रॉयल बंगाल टाइगर के दीदार करने सुंदरवन आते थे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुंदरवन में लगातार सात दिन सात लोग बाघों के शिकार हुए हैं। मरने वाले सभी मछुआरे हैं। वे केकडा़ पकड़ने जंगलों में गए थे। ये वारदातें 10 से 16 जुलाई तक हर रोज हुई हैं। यह जानकारी सुंदरवन के लोगों से मिली है, हालांकि आधिकारिक तौर पर अब तक इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
गौरतलब है कि पिछले एक साल के दौरान सुंदरवन में बाघों के हमले में 50-60 लोगों की मौत हो चुकी है। अधिक रुपये कमाने की चाह में प्रतिबंधित वनांचलों में जाकर केकड़ा पकड़ने के कारण लोग बाघों का भोजन बन रहे हैं। बाघों के हमले में जो लोग मारे गए हैं, उनके स्वजनों को वन विभाग की तरफ से दो बकरिया दी गई हैं ताकि वे उससे रोजगार कर सके। मृतकों के स्वजनों का कहना है कि दो बकरियां देने से कुछ नहीं होने वाला। उनके लिए रोजगार की ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि रोजगार नहीं होने के कारण स्थानीय मछुआरे अपनी जान जोखिम में डालकर केकड़ा पकड़ने उन जगहों पर जाते हैं, जहां पर बाघ पानी पीने आते हैं। गौरतलब है कि सुंदरवन का रॉयल बंगाल टाइगर पूरी दुनिया में विख्यात है। कोरोना महामारी से पहले दुनियाभर से लोग सालभर रॉयल बंगाल टाइगर के दीदार करने सुंदरवन आते थे। सुंदरवन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव फॉरेस्ट भी है।
वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि सुंदरवन के जंगलों में खाने-पीने की कमी हो गई है इसलिए भी बाघ इंसानों पर ज्यादा हमले कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में सुंदरवनन के कई गांवों में बाघों के हमले हो चुके हैं।