साहित्य अकादमी ने मैथिली को सभी विधाओं में शीर्ष पर ले जाने वाले बहुभाषाविद् साहित्यकार “जनसीदन” के योगदान को किया याद

मैथिली साहित्य को सभी विधाओं में शीर्ष पर ले जाने वाले विद्वान बहुभाषाविद् साहित्यकार जनार्दन झा “जनसीदन” पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में कोलकाता सहित देशभर से मैथिली व अन्य भाषाओं के विद्वानों ने हिस्सा लिया और “जनसीदन” के साहित्य के क्षेत्र में योगदान को याद किया।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 02:08 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 02:08 PM (IST)
साहित्य अकादमी ने मैथिली को सभी विधाओं में शीर्ष पर ले जाने वाले बहुभाषाविद् साहित्यकार “जनसीदन” के योगदान को किया याद
साहित्य अकादमी के वेबिनार में देशभर से जुड़े विद्वान।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। साहित्य अकादमी की ओर से बीसवीं शती के आरंभिक काल में मैथिली साहित्य को सभी विधाओं में शीर्ष पर ले जाने वाले विद्वान बहुभाषाविद् साहित्यकार जनार्दन झा “जनसीदन” पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में कोलकाता सहित देशभर से मैथिली व अन्य भाषाओं के विद्वानों ने हिस्सा लिया और “जनसीदन” के साहित्य के क्षेत्र में योगदान को याद किया। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादमी के उपसचिव एन सुरेश बाबू (नई दिल्ली) ने विद्वानों का स्वागत और परिचय कराया।

इसके बाद अकादमी में मैथिली साहित्य के संयोजक डॉ प्रो अशोक कुमार झा “अविचल” (टाटा) ने जनसीदन जी के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्हें अपने समय के अव्वल दर्जे के बहुभाषी साहित्यकार व सामाजिक चिंतक बताते हुए अपने सारगर्वित भाषण से श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। इसके पश्चात बीज भाषण देते हुए डॉ प्रो दमन कुमार झा (दरभंगा) ने जनसीदन को मैथिली साहित्य का मार्गदर्शक बताया।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता मैथिली भाषा साहित्य के विद्वान व पटना विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त डॉ प्रो इन्द्रकांत झा ने जनसीदन को तुलनात्मकता अध्ययन में डॉ० रवीन्द्र नाथ टैगोर का प्रबल समर्थक‌ बताते हुए उन्हें बांग्ला-मैथिली साहित्य का महान अनुवादक कहकर मैथिली ही नहीं साहित्य का दर्शनकार बताया। आलेख वाचन के द्वितीय सत्र में क्रमिक रूप से डॉ० प्रो नरेंन्द्र नाथ झा ने जनसीदन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।

आमोद कुमार झा (कोलकाता) ने “मैथिली के प्रारंभिक उपन्यास और जनसीदन” पर आलेख पढे। वहीं, निक्की प्रियदर्शिनी ने “जनसीदन के साहित्य में समाज और संस्कृति” पर आलेख पढ़ी। सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ०प्रो० केष्कर ठाकुर (भागलपुर) ने विद्वतापूर्ण आलेख की समीक्षा करते हुए जनसीदन को मैथिली साहित्य का सामाजिक उन्नायक तक कहा। अंत में अकादमी के उपसचिव एन सुरेश बाबू ने सभी का धन्यवाद करते हुए वेबिनार के समापन की घोषणा की। 

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