Bengal Chunav: पैसा बोलता है- बंगाल चुनाव में धनबल हावी, प्रमुख राजनीतिक दल लगे बूथ प्रबंधन में

West Bengal Assembly Election 2021 बंगाल के इस सीमावर्ती इलाके में पहले चरण में 27 मार्च को वोट डाले जाएंगे। चुनाव में बेहतर बूथ प्रबंधन को लेकर धनबल पूरी तरह हावी है। बूथ प्रबंधन के लिए अलग-अलग कैटेगरी तय की गई है। बंगाल चुनाव में धनबल हावी लिस्ट दोपैसे लो

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 23 Mar 2021 08:51 AM (IST) Updated:Tue, 23 Mar 2021 08:51 AM (IST)
Bengal Chunav: पैसा बोलता है- बंगाल चुनाव में धनबल हावी, प्रमुख राजनीतिक दल लगे बूथ प्रबंधन में
चुनाव में बेहतर बूथ प्रबंधन को लेकर धनबल पूरी तरह हावी है।

कोलकाता, पुरुलिया से प्रदीप सिंह

दृश्य-एक : पुरुलिया के अति व्यस्त इलाके के एक प्रमुख होटल का रेस्टोरेंट। जोर-जोर से आपस में बातचीत करते लोगों की टोली। झमेले की वजह पैसों का सही-सही बंटवारा नहीं होना। एक-दूसरे पर आक्षेप लगाने वाले युवक कह रहे हैं कि जिसको कम पैसे देना चाहिए था, उसको ज्यादा मिल गया और वह ज्यादा वोटों का जुगाड़ कर रहा है तो कम पैसा मिला है। उसके क्लब से भी ज्यादा लोग जुड़े हैं। हंगामा सुनकर होटल के मैनेजर पहुंचते हैं और सबको बाहर निकालते हैं।

दृश्य - दो : बाउरी समुदाय के एक मुहल्ले में लगभग आधा दर्जन लोग पहुंचे हैं। नुक्कड़ पर मौजूद क्लब में सभी बैठक कर रहे हैं। चर्चा इस बात की हो रही है कि इलाके के आठ बूथों का मैनेजमेंट कौन करेगा। सभी बूथों पर पोलिंग एजेंट से लेकर लोगों के घरों तक पर्ची देने से लेकर घर से निकालकर मतदान केंद्र तक पहुंचाने वाले लोग चाहिए। बात तय होने के बाद युवकों की सूची मांगी जाती है। एडवांस अभी दिया गया है। बाकी चुनाव की सामग्री के साथ जल्द पहुंचा दिया जाएगा। सबके लिए खाने का प्रबंधन अलग से होगा।

बंगाल के इस सीमावर्ती इलाके में पहले चरण में 27 मार्च को वोट डाले जाएंगे। चुनाव में बेहतर बूथ प्रबंधन को लेकर धनबल पूरी तरह हावी है। बूथ प्रबंधन के लिए अलग-अलग कैटेगरी तय की गई है। जहां जिस दल के लिए ज्यादा संभावना है, उसी लिहाज से रेट भी तय किया गया है। अकेले एक दल को बूथों के प्रबंधन के लिए विधानसभावार 75 लाख से एक करोड़ रुपये का खर्च लगेगा। सबकुछ आपसी सहमति के आधार पर होता है। काशीपुर विधानसभा क्षेत्र में एक प्रमुख दल के प्रत्याशी के यहां युवकों की लिस्ट लेकर पहुंचा एक युवक बताता है कि सभी का मोबाइल नंबर भी इसमें है। चुनाव में लड़के सतर्क रहेंगे। ए प्लस बूथ की संख्या ज्यादा है और इसके लिए कम से कम दस हजार रुपये प्रति बूथ दिया जा रहा है। इसी प्रकार ए और बी कैटेगरी के लिए सात और पांच हजार रुपये निर्धारित है। बाकी बची बूथ सी कैटेगरी के हैं, जिसके लिए कोई रेट नहीं है। प्रत्याशी के चुनाव प्रबंधक लिस्ट को देखकर हामी भरेंगे, तभी टोली उनके लिए मतदान के दिन बूथों पर सक्रिय रहेगी। कमोवेश सभी सीटों पर इसी प्रकार बूथों का प्रबंधन प्रमुख दलों के प्रत्याशी और उनके प्रबंधक कर रहे हैं।

हर क्लब को आॢथक मदद :

बंगाल में क्लबों का खूब प्रचलन है। हर टोले-मुहल्ले में एक क्लब सामाजिक, सांस्कृतिक व खेल गतिविधियों के लिए है। ये राज्य सरकार से पंजीकृत होते हैं और इनसे जुड़े लोगों का समर्थन पाने के लिए सरकार आॢथक सहायता भी करती है। क्लबों से क्षेत्र के युवा जुड़े रहते हैं। चुनाव में इनका कामकाज देखने वालों की पूछ बढ़ रही है। क्लब से जुड़े लोगों को प्रभावित करने के लिए भी प्रमुख दल इन्हेंं आॢथक मदद के नाम पर पैसे देते हैं। राज्य में 26 हजार से अधिक रजिस्टर्ड क्लब हैं। ममता सरकार हर क्लब को सालाना एक लाख रुपये बतौर अनुदान देती है। इसके अलावा दुर्गापूजा कमेटियों को 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। ऐसी कमेटियों की संख्या 28 हजार है।

जुलूसों में भी भाड़े के लोग :

प्रत्याशियों का सबसे ज्यादा जोर घर-घर जाकर संपर्क करने का है। इसके लिए भी हरेक मुंडी (आदमी) का रेट तय है, एक दिन का पांच सौ। जुलूस में जाने के पहले आधा पैसा एडवांस में दिया जाता है और जुलूस समाप्त होने के बाद बाकी पैसा। पेशे से शिक्षक बनमाली महतो कहते हैं- आज जो तृणमूल के मिछिल (जुलूस) में जा रहा है, वह कल आपको कांग्रेस और भाजपा के कैंडिडेट के साथ दिख सकता है। इलाके में गरीबी बहुत है। रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है। कम से कम इलेक्शन में उन्हेंं घर बैठे काम मिल जाता है। 

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