Rajyasabha Election: तृणमूल उम्मीदवार सुष्मिता देब अगले सोमवार को बंगाल की राज्‍यसभा सीट के लिए दाखिल करेंगी नामांकन

तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार सुष्मिता देब अगले सोमवार को बंगाल की एकमात्र रिक्त राज्यसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल करेंगी। सुष्मिता नहीं चाहतीं कि नामांकन दाखिल करने की अग्रिम तैयारियों में कोई कमी हो इसलिए बुधवार को जब वह अगरतला से कोलकाता आईं तो सीधे विधानसभा भवन गईं

By Vijay KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:09 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 10:09 PM (IST)
Rajyasabha Election: तृणमूल उम्मीदवार सुष्मिता देब अगले सोमवार को बंगाल की राज्‍यसभा सीट के लिए दाखिल करेंगी नामांकन
सुष्मिता देब अगले सोमवार को बंगाल की एकमात्र रिक्त राज्यसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल करेंगी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार सुष्मिता देब अगले सोमवार को बंगाल की एकमात्र रिक्त राज्यसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल करेंगी। सुष्मिता नहीं चाहतीं कि नामांकन दाखिल करने की अग्रिम तैयारियों में कोई कमी हो इसलिए बुधवार को जब वह अगरतला से कोलकाता आईं तो सीधे विधानसभा भवन गईं और वहां पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी और मुख्य सचेतक निर्मल घोष के साथ नामांकन के विवरण पर चर्चा की। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पार्थ चटर्जी ने उनके लिए नामांकन पत्र के कम से कम चार सेट पहले ही तैयार कर लिए हैं। बाद में मीडिया से बातचीत में

सुष्मिता ने कहा-'मैं बंगाल से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के लिए ममता बनर्जी की आभारी हूं। यह वास्तव में मेरे लिए अप्रत्याशित था। मैं अब से असम या त्रिपुरा के साथ बंगाल की राजनीति का हिस्सा बन गई हूं तो निश्चित तौर पर मेरी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। मुझे पूरा विश्वास है कि मैं टीम के वरिष्ठ नेताओं के सहयोग से इस कार्य में सफल होऊंगी।' पार्थ चटर्जी ने कहा-' 'हम सुष्मिता के पिता संतोष मोहन देब की राजनीति से परिचित हैं। कम समय में ही सुष्मिता ने राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भी अपनी पहचान बना ली है। हमारी टीम में शामिल होकर वह पहले से ही त्रिपुरा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

त्रिपुरा की राजनीति को लेकर सुष्मिता ने कहा कि भाजपा ने वहां जंगल राज स्थापित कर दिया है। राज्य में लोकतंत्र का कोई नामोनिशान नहीं है। ऐसे में अब उन्होंने कुछ घटनाओं को अंजाम देकर माकपा को परोक्ष रूप से हवा देना शुरू कर दिया है। अभी तक न तो माकपा और न ही उनके नेता मानिक सरकार ने भाजपा के खिलाफ कुछ बोला है। अब वे भाजपा के समर्थन में मुखर हो गए हैं क्योंकि वे समझते हैं कि तृणमूल तेजी से विपक्ष को अपने कब्जे में ले रहा है।

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