राहुल ने वाम दलों के साथ गठबंधन पर चर्चा के लिये बंगाल कांग्रेस के नेताओं के साथ आनलाइन बैठक की

Bengal Assembly Elections बैठक के दौरान प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी का वाम दलों के साथ गठबंधन की वकालत की। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के अनुसार दोनों दलों के बीच सीटों के तालमेल के बारे में राहुल ने जानकारी ली।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 11:19 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:19 AM (IST)
राहुल ने वाम दलों के साथ गठबंधन पर चर्चा के लिये बंगाल कांग्रेस के नेताओं के साथ आनलाइन बैठक की
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं के साथ आनलाइन बैठक की

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं के साथ आनलाइन बैठक की और 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वाम दलों के साथ गठबंधन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के अनुसार दोनों दलों के बीच सीटों के तालमेल के बारे में राहुल ने जानकारी ली। बैठक के दौरान प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी का वाम दलों के साथ गठबंधन की वकालत की लेकिन सीटों के बंटवारे के मसले पर कुछ वरिष्ठ सदस्यों की राय अलग थी। कुछ सदस्यों ने कहा कि किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले पार्टी को हालिया संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों से सबक लेनी चाहिये जहां पार्टी को केवल 19 सीटों पर सफलता मिली।

प्रदेश में कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हमने राहुल गांधी जी से कहा कि पूरी प्रदेश इकाई राज्य में वाम दलों के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं लेकिन सीटों के बंटवारे पर बातचीत अभी शुरू नहीं हुयी है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस एवं भाजपा को हराने के लिये वाम-कांग्रेस गठजोड़ सबसे बेहतर विकल्प है।’’

गौरतलब है कि बंगाल में प्रमुख दावेदार मानी जा रहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा दोनों को ही इसका पूरा भरोसा है कि राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-माकपा के गठजोड़ से उन्हें राजनीतिक फायदा मिलेगा।

कांग्रेस और माकपा ने 2016 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था जिसमें वे 294 में से 76 सीटें जीतने और करीब 39 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रहे थे। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले यह गठबंधन टूट गया। अब दोनों दलों ने फिर पश्चिम बंगाल और असम चुनाव के लिए हाथ मिला लिया है, दोनों जगह अगले साल चुनाव होने हैं।

बंगाल में अपनी जड़ें जमा रही भाजपा इस गठबंधन को अपनी स्थिति मजबूत करने के एक अवसर के रूप में देखती है, वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को भी यही भरोसा है। दोनों ही दलों के पास इस बारे में अपने-अपने सियासी आकलन और तर्क हैं कि ये गठबंधन उन्हें कैसे फायदा पहुंचाएगा।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि तृणमूल का मुस्लिम वोट बैंक विभाजित होगा। 2019 में मुसलमानों ने संगठित रूप से तृणमूल के पक्ष में वोट किया था। और हमें कांग्रेस और माकपा के हिंदू वोट मिले। हमारा वोट बैंक अब भी एकजुट और पहले की तरह बरकरार है। हालांकि, यह सब कुछ अनुमानों पर ही आधारित है लेकिन हम कह सकते हैं कि तृणमूल के मुस्लिम वोट-बैंक में सेंध लगेगी। यह भाजपा के लिए फायदेमंद होगा।’

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस इसे अलग परिप्रेक्ष्य में देखती है। पार्टी के दिग्गज नेता सौगत राय ने कहा, ‘हमारा अल्पसंख्यक वोट बैंक स्थिर है। वास्तव में तृणमूल कांग्रेस का 45 प्रतिशत वोट शेयर अभी भी एकजुट है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस-माकपा गठबंधन में ‘कुछ खामी’ है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा को रोकने के लिए उन्हें अपने गठबंधन पर काम करने की जरूरत है। उनका जनाधार और कार्यकर्ता एकजुट होने चाहिए। 2016 में कांग्रेस के वोट माकपा के खाते में नहीं गए जिसने माकपा को कमजोर किया।’ 

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