West Bengal: मलेशिया से 1084 रोहिंग्या शरणार्थियों के म्यांमार प्रत्यावर्तन का कड़ा विरोध

West Bengal स्थानीय प्रशासन अब इस पर निर्णय लेगा कि क्या नौसेना को उस बोट को तट पर लाने की अनुमति दी जाए ताकि बोट की मरम्मत की जा सके और उस पर सवार रोहिंग्या शरणार्थियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा सके। उनमें से कई बीमार हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 08:51 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 08:51 PM (IST)
West Bengal: मलेशिया से 1084 रोहिंग्या शरणार्थियों के म्यांमार प्रत्यावर्तन का कड़ा विरोध
मलेशिया से 1084 रोहिंग्या शरणार्थियों के म्यांमार प्रत्यावर्तन का कड़ा विरोध। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal: संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, पश्चिमी देशों की सरकारों, जिनमें अमेरिका भी शामिल है और वैश्विक मानवाधिकार समूहों ने मलेशिया से 1,084 रोहिंग्या शरणार्थियों के म्यांमार प्रत्यावर्तन का कड़ा विरोध किया है। यह विरोध ऐसे समय किया गया है, जब 90 रोहिंग्या शरणर्थियों को अवैध रूप से बांग्लादेश के शिविर से मलेशिया भेजा जा रहा है। उनकी बोट यांत्रिक खराबी के कारण भारत के अंडमान द्वीप पर फंस गई है। भारतीय नौसेना के तकनीशियनों द्वारा बोट के इंजन की मरम्मत के प्रयास विफल हो गए थे। स्थानीय प्रशासन अब इस पर निर्णय लेगा कि क्या नौसेना को उस बोट को तट पर लाने की अनुमति दी जाए, ताकि बोट की मरम्मत की जा सके और उस पर सवार रोहिंग्या शरणार्थियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा सके। उनमें से कई बीमार हैं।

इस बात की भी पुष्टि नहीं हो पाई है कि भारत बोट की मरम्मत के बाद उसे वापस बांग्लादेश भेज देगा या फिर म्यांमार का रुख करने की अनुमति देगा। नौसेना के कुछ अधिकारियों ने कहा कि बोट को वापस बांग्लादेश भेजने की ही संभावना अधिक दिख रही है, जिसके लिए दिल्ली में कुछ राजनयिक कार्रवाई की आवश्यकता हो सकती है। बोट को दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर जाने की अनुमति देना अच्छा विचार नहीं होगा, क्योंकि वहां स्थित कोई भी देश, यहां तक कि मुस्लिम बहुसंख्यक मलेशिया और इंडोनेशिया भी, रोहिंग्या शरणार्थियों को लेने के लिए तैयार नहीं हैं। कई पश्चिमी देशों ने भी यही चिंता जाहिर करते हुए प्रत्यावर्तन को रोकने की कोशिश की है। 

गौरतलब है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को लेकर दुनियाभर में चिंता और आक्रोश है। अमेरिका, ब्रिटेन और भारत समेत विश्व के कई देशों ने इस घटनाक्रम की निंदा की है। बांग्लादेश में शिविरों में रह रहे म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों ने भी तख्तापलट की निंदा की है। उनका मानना है कि इससे उनके वापस लौटने का रास्ता और मुश्किल हो गया है। 2017 में म्यांमार की सेना ने 7 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकाल दिया था। म्यांमार से निकाले गए रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के भीड़-भाड़ वाले शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। बांग्लादेश उन्हें बौद्ध-बहुल म्यांमार वापस भेजने के लिए उत्सुक है। हालांकि, कई बार किए गए प्रत्यावर्तन के प्रयास विफल साबित हुए हैं, क्योंकि रोहिंग्या हिंसा के डर से वापस जाना नहीं चाहते।

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