जानें बंगाल में ममता की जीत का मास्टरमाइंड कौन? अमित शाह के सपने को 5 माह पहले एक ट्वीट से किया था ध्वस्त
भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह का मिशन बंगाल का सपना बंगाल चुनाव की मतगणना के दौरान ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है। अमित शाह ने बंगाल मिशन के तहत पिछले साल नवंबर दिसंबर में ही ममता बनर्जी के गढ़ में सेंध लगाने के लिए पूरी कोशिश की थी।
ऑनलाइन डेस्क, कोलकाता! भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह का मिशन बंगाल का सपना बंगाल चुनाव की मतगणना के दौरान ध्वस्त होता स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। अमित शाह ने बंगाल मिशन के तहत पिछले साल नवंबर दिसंबर में ही ममता बनर्जी के गढ़ में सेंध लगाने के लिए पूरी कोशिश की थी। उस दौरान शाह ने बंगाल में 294 में से 200 सीटें जीतने का दावा कर बंगाल की राजनीति में खलबली मचा दी थी। उसी समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर दावा कर दिया था कि भारतीय जनता पार्टी बंगाल विधानसभा चुनाव में दहाई के अंक भी पार नहीं कर पाएगी।
अमित शाह के दावे पर प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा था कि अमित शाह के बंगाल दौरे से भाजपा को कोई खास फायदा होने नहीं जा रहा है। भाजपा नेता का यह दौरा मीडिया की बनाई हुई छवि है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नतीजों में दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाएगी। उन्होंने ट्वीट किया था, 'मीडिया के समर्थित पक्ष द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। असल में भाजपा को दहाई का आंकड़ा पार करने में भी मुश्किल होगी। कृपया इस ट्वीट को सेव कर लीजिए और अगर भाजपा अच्छा करती है, तो मैं यह जगह छोड़ दूंगा।'
फरवरी में जब बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ तो चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर अपने ट्वीट से राज्य की राजनीति में सरगर्मी बढ़ाने की कोशिश की है। किशोर ने लिखा- 'भारत में लोकतंत्र की अहम लड़ाई बंगाल में लड़ी जाएगी और बंगाल के लोग अपने संदेश के साथ तैयार हैं। बंगाल केवल अपनी बेटी चाहता है। दो मई को मेरा पिछला ट्वीट जरूर देखिएगा।'
प्रशांत किशोर के किन कदमों से ममता ने जीता बंगाल
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के इनपुट और जमीनी हकीकत के बारे में उनकी टीम ने सालभर विश्लेषण किया। कुछ नए चेहरे सामने लाए, जबकि कुछ पुराने चेहरे हटा दिए। एक वरिष्ठ तृणमूल नेता ने कहा कि प्रशांत किशोर (पीके) और उनकी टीम के इनपुट ने इस फेरबदल में अहम भूमिका निभाई। हालांकि ममता बनर्जी का निर्णय सर्वोच्च है। लेकिन किशोर और उनकी टीम ने इस संबंध में बनर्जी की आंख-कान की तरह काम किया। सालभर के सर्वेक्षण के अलावा ‘दीदी के बोलो’ जनसंपर्क अभियान के दौरान जिलों और उनके नेतृत्व के प्रदर्शन पर तैयार रिपोर्ट को इस फेरबदल से पहले संज्ञान में लिया गया। एनए और युवा चेहरों की नियुक्ति के संबंध में आम लोगों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता पता लगाने के लिए अलग से सर्वेक्षण किया गया था। सारे विवरण कुछ महीने पहले पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सौंपे गए थे। कुछ लोगों के लिए जो चौंकाने वाली बातें सामने आई थीं, वह यह थी कि बनर्जी ने माओवाद समर्थित संगठन के नेता छत्रधर महतो को पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति में नियुक्त किया है।
निष्क्रिय पड़े नेताओं को दोबारा सक्रिय करने की कोशिश
प्रशांत किशोर (पीके) और उनकी टीम ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर पार्टी से बिखरे हुए व अलग-थलग पड़े नेताओं को फिर से पार्टी में सक्रिय करने की कवायद भी शुरू की। इसी कड़ी के तहत पिछले साल गत 21 जुलाई को तृणमूल की शहीद दिवस सभा में पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने तृणमूल छोड़नेवाले नेताओं और कार्यकर्ताओं से घर वापसी की अपील की थी। इसके बाद पूर्व विधायक विप्लव मित्रा जैसे कई नेताओं की पार्टी में फिर से वापसी हो गई। प्रशांत किशोर (पीके) और उनकी टीम ने ये भी पता लगाने की कोशिश की कि नेता और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से दूरी क्यों बना ली।
बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी छोड़ चुके नेताओं की घर वापसी के साथ अलग-थलग व निष्क्रिय पड़े नेताओं को भी सक्रिय करने में जुट गई है। दरअसल, गत 21 जुलाई को तृणमूल की शहीद दिवस सभा में पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने तृणमूल छोड़नेवाले नेताओं और कार्यकर्ताओं से घर वापसी की अपील की थी। इसके बाद पूर्व विधायक विप्लव मित्रा जैसे कई नेताओं की पार्टी में फिर से वापसी हो गई है। साथ ही कारण का पता लगाया जा रहा है कि ऐसे नेता और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से दूरी क्यों बना ली।
प्रशांत किशोर को सहनी पड़ी टीएमसी नेताओं की बगावत
प्रशांत किशोर के खिलाफ ही पार्टी में आए दिन नेता अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। तृणमूल कांग्रेस के विधायक नियामत शेख ने विस्फोटक बयान देते हुए कहा है कि पीके की टीम तृणमूल कांग्रेस को बर्बाद कर देगी। इससे पहले बंगाल की बैरकपुर विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सिलभद्र दत्ता ने प्रशांत किशोर की एजेंसी के खिलाफ हमला बोलते हुए ऐलान किया था वे आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह पार्टी के लिए ठीक नहीं है कि कोई एजेंसी यह निर्देश दे कि कैसे पार्टी को चलाया जाए। कूचबिहार साउथ से तृणमूल कांग्रेस के विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी पिछले दिनों कहा था कि आइ-पैक, ठेका एजेंसी, अगर पार्टी को निर्देश देगी कि कैसे काम करें तो यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा। अगर कोई पार्टी चाहती है कि एजेंसी पार्टी को चलाए तो 100 फीसद पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा।
प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी मिलने पर भी भाजपा ने ममता पर उठाए थे सवाल
बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने जब विधानसभा चुनाव 2021 के लिए प्रशांत किशोर के संगठन इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) को उसकी रणनीति तैयार करने का जिम्मा सौंपा था तो भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता पर तीखे सवाल उठाए थे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि क्या उन्होंने आत्म विश्वास खो दिया है और अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर तथा उनकी टीम के पास ''गिरवी'' रख दिया है।
हुआ भी कुछ ऐसा ही। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर(पीके) को लेकर बंगाल में तृणमूल के भीतर असंतोष लगातार बढ़ता रहा। चार विधायक पहले ही अपनी नाराजगी जता चुके थे। कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद हावड़ा के शिवरपुर से वरिष्ठ विधायक व नेता जटू लाहिड़ी ने प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोलते के संकेत दे दिए। उन्होंने प्रशांत किशोर को किराये पर लाए गए लोग कहते हुए पार्टी की क्रियाकलाप पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब तक ममता बनर्जी पार्टी को देख रही थीं तो सब कुछ ठीक था। परंतु, प्रशांत किशोर के आने के बाद से पार्टी को नुकसान होने लगा है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पार्टी में चल रहा है उससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं। यह सही नहीं हो रहा है। इस पर विजयवर्गीय ने कहा था कि तृणमूल के पुराने नेता उसे छोड़ रहे हैं और राज्य की जनता भी ऐसा ही कर रही है। ''कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति अब तृणमूल में नहीं रह सकता क्योंकि अब इसकी लगाम 'भाइपो' (ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक) के हाथों में चली गई है।''