West Bengal: मीडिया और साहित्य हैं एक-दूसरे के पूरक: डॉ. अशोक अविचल

अपने संबोधन में साहित्य अकादमी में मैथिली भाषा के संयोजक डॉ. अशोक अविचल ने कहा कि मीडिया और साहित्य एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों विधा में मैथिली भाषा ने काफी लंबा रास्ता तय किया है। मीडिया और साहित्य विषय पर आयोजित ऑनलाइन परिसंवाद।

By Priti JhaEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 10:38 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 10:38 AM (IST)
West Bengal: मीडिया और साहित्य हैं एक-दूसरे के पूरक: डॉ. अशोक अविचल
मीडिया और साहित्य विषय पर आयोजित ऑनलाइन परिसंवाद में भाग लेते विशिष्ट जन।

कोलकाता, जागरण संवाददाता। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने ‘मीडिया और साहित्य' विषय पर ऑनलाइन परिसंवाद का आयोजन किया। दो सत्र में आयोजित हुए इस परिसंवाद के पहले सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार उदय चंद्र झा ‘विनोद’ और दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकार एवं रंगकर्मी विभा रानी ने की। अपने संबोधन में साहित्य अकादमी में मैथिली भाषा के संयोजक डॉ. अशोक अविचल ने कहा कि मीडिया और साहित्य एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों विधा में मैथिली भाषा ने काफी लंबा रास्ता तय किया है।

वक्तव्य रखते हुए अजित आजाद ने मैथिली भाषा में पूंजी निवेश की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि वेब पत्रकारिता के जरिए आम जनमानस के विश्वास को जीतने में मैथिली मीडिया सफल रही है। इस भाषा में रोजी-रोटी की अपार संभावनाएं हैं। भाषा के विकास में ई-पत्रकारिता सहायक है। इस मौके पर युवा पत्रकार विनीत उत्पल ने कहा कि मीडिया और साहित्य के बीच गहरा संबंध है। दोनों ही समाज का आइना हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार उदय चंद्र झा ‘विनोद’ ने कहा कि मैथिली पत्रकारिता की शुरुआत 1905 से हुई और वर्तमान समय में दैनिक समाचारपत्र और टेलीविजन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए विभा रानी ने कहा कि भाषा और साहित्य के विकास में मीडिया की भूमिका सर्वोपरि है। युवा पत्रकार सच्चिदानंद सच्चू और रूपेश त्योंथ ने अपने-अपने आलेख के माध्यम से मैथिली मीडिया की वर्तमान स्थिति-परिस्थिति, भविष्य की संभावनाओं पर विचार प्रस्तुत किए।

धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक अविचल ने किया और घोषणा की कि इस परिसंवाद का दस्तावेजीकरण कर पुस्तक का प्रकाशन होगा। अकादमी के उप सचिव सुरेश बाबू ने कहा कि पूरे देश में महामारी के कारण लोगों में पीड़ा और अवसाद है, ऐसे में लोग भय में जी रहे हैं। इस स्थिति में इस तरह के आयोजन से सकारात्मकता का संचार होता है।

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