न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के प्रस्ताव पर कलकत्ता हाईकोर्ट के बार संगठनों ने जताई आपत्ति

कलकत्ता हाईकोर्ट के बार संगठनों ने देश के मुख्य न्यायाधीश से इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने का आग्रह किया। बार एसोसिएशन बार लाइब्रेरी क्लब और इनकॉर्पोरेटेड लॉ सोसाइटी ने संयुक्त प्रस्ताव में एससीबीए के प्रस्ताव पर अपना विरोध व्यक्त किया।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 10:45 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 11:54 PM (IST)
न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के प्रस्ताव पर कलकत्ता हाईकोर्ट के बार संगठनों ने जताई आपत्ति
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शुरू की जाती है।

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के प्रस्ताव पर कलकत्ता हाईकोर्ट के बार संगठनों ने आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट में बार की तीनों शाखाओं ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं पर विचार करने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और देश के मुख्य न्यायाधीश से इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने का आग्रह किया।

सर्वसम्मति से एससीबीए द्वारा रखे गए प्रस्ताव का कड़ा विरोध करने का संकल्प लिया

कलकत्ता उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, बार लाइब्रेरी क्लब और इनकॉर्पोरेटेड लॉ सोसाइटी ने संयुक्त प्रस्ताव में एससीबीए के प्रस्ताव पर अपना विरोध व्यक्त किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि तीन बार के सदस्यों ने सर्वसम्मति से एससीबीए द्वारा रखे गए प्रस्ताव का कड़ा विरोध करने का संकल्प लिया है। तीनों बारों ने संयुक्त रूप से देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वह एससीबीए के प्रस्ताव को खारिज कर दें और इसके आधार पर कोई निर्देश दिए जाने पर वापस ले लें।

नामों की सिफारिश करने की अनुमति दी जानी चाहिए और मुख्य न्यायाधीश विचार करें

एससीबीए ने प्रस्ताव दिया है कि उसे उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के नामों की सिफारिश करने की अनुमति दी जानी चाहिए और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश ऐसी सिफारिशों पर विचार करें। बार ने दावा किया कि यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 217 (2) के उल्लंघन में है, जो उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है।

मुख्य न्यायाधीश द्वारा संबंधित उच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों के परामर्श से चयन

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाला एक अधिवक्ता उच्च न्यायालय का अधिवक्ता नहीं है और संवैधानिक प्रावधान के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य नहीं है। बार ने यह भी दावा किया कि प्रस्ताव संवैधानिक परंपरा के विपरीत है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शुरू की जाती है। चयन मुख्य न्यायाधीश द्वारा संबंधित उच्च न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के परामर्श से किया जाता है।

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