अब संसद में भी कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं करेगी टीएमसी, टकराव में बदली एलर्जी
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की एलर्जी अब टकराव में बदल गई है। इस सप्ताह की शुरुआत में जब तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी दिल्ली में थीं उनकी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ तीखे बाण चलाए थे। मेघालय कांग्रेस में तृणमूल कांग्रेस ने बड़ी दरार पैदा कर दी है।
राज्य ब्यूरो कोलकाता। कांग्रेस को लेकर तृणमूल कांग्रेस की एलर्जी बढ़ती जा रही है। अब टीएमसी ने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के साथ कोई कक्षा समन्वय नहीं करने का फैसला किया है। कांग्रेस के किसी सांसद द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक में तृणमूल कांग्रेस अपना प्रतिनिधि भी नहीं भेजेगी। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने यह मंशा जाहिर की है।
तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आगामी संसदीय सत्र में कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं होगा। हम कांग्रेस के सदन में विपक्ष की कोई बैठक नहीं करेंगे। हालांकि पिछले सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी के नेता के नहीं जाने के बावजूद कांग्रेस के बुलावे पर तृणमूल कांग्रेस ने कई बार मुख्य सचेतक या नए सांसदों को भेजा था। इस बार ऐसा नहीं होगा। पार्टी संसदीय दल की अध्यक्ष ममता बनर्जी की अध्यक्षता में सोमवार को तृणमूल कार्यसमिति की बैठक होगी। लोकसभा नेता सुदीप बनर्जी, राज्यसभा नेता डेरेक ओ ब्रायन, पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी और प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्शी जैसे सांसद मौजूद रहेंगे। पता चला है कि कांग्रेस के साथ समन्वय नहीं करने के फैसले को अंतिम रूप दिया जाएगा।
डेरेक ने कहा कि यह हमें तय करना है कि हम संसद में क्या कहेंगे। तृणमूल पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, किसान आंदोलन में मारे गए किसानों को मुआवजा, लखीमपुर खीरी कांड में दोषियों को सजा जैसे मुद्दों पर हमेशा मुखर रही है। कई मामलों में मैंने विपक्ष में मोर्चा संभाला है। कांग्रेस के साथ समन्वय की कोई जरूरत नहीं है।
इस सप्ताह की शुरुआत में जब तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी दिल्ली में थीं, उनकी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ तीखे बाण चलाए थे। मेघालय कांग्रेस में तृणमूल कांग्रेस ने बड़ी दरार पैदा कर दी है। ममता जब कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली आईं तो उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। राजनीतिक खेमे के मुताबिक कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर तृणमूल कांग्रेस की 'एलर्जी' इस बार पूरी तरह टकराव में बदल गई है। यह संसद के आगामी सत्र में भी जारी रहेगा।