अब कोलकाता में भी कोविड मरीज सुरक्षित रख सकेंगे अपना शुक्राणु, गुजरात की एक महिला की अपील ने खींचा सबका ध्यान

अब कोलकाता में भी कोविड मरीज के शुक्राणु (Sperm) को भी संरक्षित रखा जा सकेगा। गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश पर हाल ही में वहां कोविड मरीज के स्पर्म को इकट्ठा किया गया है। गुजरात की एक महिला की अपील ने सबका ध्यान इस ओर खींचा है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 01:53 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 01:54 PM (IST)
अब कोलकाता में भी कोविड मरीज सुरक्षित रख सकेंगे अपना शुक्राणु, गुजरात की एक महिला की अपील ने खींचा सबका ध्यान
कोलकाता में भी कोविड मरीज सुरक्षित रख सकेंगे अपना शुक्राणु

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बहुत से लोग भविष्य में बच्चा पैदा करने की उम्मीद में शुक्राणु एकत्र करते हैं। फिर जब भी आप बच्चा पैदा करने की योजना बनाते हैं, संग्रहीत शुक्राणु काम में आते हैं। लेकिन क्या बच्चा पैदा करने की उम्मीद में कोविड मरीज के स्पर्म को इकट्ठा करना संभव है? गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश पर हाल ही में वहां कोविड मरीज के स्पर्म को इकट्ठा किया गया है। सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि कोलकाता में भी कोविड मरीज के स्पर्म को इकट्ठा करने और स्टोर करने की व्यवस्था है। कोविड के मरीज भी 10,000 रुपये से 20,000 रुपये की कीमत पर अपने स्पर्म को पांच साल तक रख सकते हैं। हालांकि, शहर के दो निजी अस्पताल फिलहाल कोविड के स्पर्म को सुरक्षित रखने की स्थिति में नहीं हैं।

गुजरात की महिला ने सभी का ध्यान खींचा

पिछले कुछ दिनों में गुजरात की एक महिला की अपील ने सबका ध्यान खींचा है। महिला के परिवार ने बताया कि उसके पति कोरोना अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर जिंदगी की जंग लड़ रहे थे और डॉक्टरों ने उन्हें 24 घंटे का समय दिया था। समय कम था लेकिन पत्नी बच्चा पैदा करना चाहती थी। महिला ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति के शुक्राणु एकत्र करने की मांग की। अदालत ने उसी दिन महिला की अर्जी स्वीकार कर ली। उसी रात संक्रमित व्यक्ति के शुक्राणु को एकत्र कर एक निजी अस्पताल में रखा गया।

कोलकाता के अस्पताल में रखा जा सकेगा कोविड मरीज का शुक्राणु

इसी तरह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में एक कोविड मरीज के स्पर्म को इकट्ठा कर भविष्य के लिए सुरक्षित रखना संभव है। बंगाल इनफर्टिलिटी एंड रिप्रोडक्टिव थैरेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर गौतम खस्तगीर ने कहा कि कोविड रोग से पीड़ित मरीजों में शुक्राणुओं को इकट्ठा करने और संरक्षित करने के लिए विशेष उपाय और सावधानियां बरतनी चाहिए। शुक्राणु को तरल नाइट्रोजन में शून्य से नीचे के तापमान पर सुरक्षित रखना पड़ता है। हालांकि, ऐसे रोगियों के मामले में उपचार और तर्क दोनों के आधार पर निर्णय लेना होता है।

स्पर्म से संक्रमण फैलने के पुख्ता प्रमाण नहीं

खस्तगीर ने कहा कि एक कोविड मरीज को पहले यह तय करना चाहिए कि वह अपना स्पर्म क्यों रखना चाहता है। अगर स्पर्म को स्टोर करना बहुत जरूरी है तो संक्रमित व्यक्ति से स्पर्म को इकट्ठा करना जरूरी है। स्पर्म को अलग कैन में अलग जगह पर रखना चाहिए। दूसरों को नमूनों के साथ नहीं रखा जाना चाहिए। हालांकि अभी तक स्पर्म में कोविड वायरस की मौजूदगी और संक्रमण के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके अलावा, ज्यादातर मामलों में शुक्राणु साल-दर-साल तरल नाइट्रोजन में छोड़े जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स को लगता है कि यह शोध का विषय है कि क्या कुछ साल बाद स्पर्म में वायरस जीवित रहेगा या नहीं।

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