जापान से वापस लाने थी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां, नरसिंह राव सरकार को दंगे के भय के त्यागना पड़ा था विचार

पीवी नरसिंह राव सरकार जापान से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां भारत लाने के कगार पर पहुंच गई थी लेकिन एक खुफिया रिपोर्ट के बाद ऐसा नहीं करने का निर्णय लिया था। दरअसल रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि इस मुद्दे से कोलकाता में दंगे हो सकते हैं।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 07:02 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 10:58 PM (IST)
जापान से वापस लाने थी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां, नरसिंह राव सरकार को दंगे के भय के त्यागना पड़ा था विचार
जापान से वापस लाने थी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः पीवी नरसिंह राव सरकार जापान से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां भारत लाने के कगार पर पहुंच गई थी, लेकिन एक खुफिया रिपोर्ट के बाद ऐसा नहीं करने का निर्णय लिया था। दरअसल, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि इस मुद्दे से जुड़े विवाद के चलते कोलकाता में दंगे हो सकते हैं। बोस के एक करीबी संबंधी ने यह दावा किया। महान स्वतंत्रता सेनानी पर अनुसंधानकर्ता एवं लेखक आशीष राय ने सितंबर 1945 से टोक्यो के बौद्ध मठ रेनकोजी टेम्पल में रखी बोस की अस्थियां वापस लाने की अपील करते हुए कहा कि अस्थियों पर कानूनी अधिकार नेताजी की बेटी अर्थशात्री प्रो अनीता बोस का होना चाहिए तथा भारत सरकार को उन्हें इसे प्राप्त करने की अनुमति देनी चाहिए।

अनीता जर्मनी में रहती हैं। राय, बोस द्वारा आजाद हिंद सरकार की स्थापना की 78 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित एक वर्चुअल सेमिनार को गुरुवार को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन, हिंद-जापान सामुराई सेंटर ने विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया था।

राय ने नेताजी की मृत्यु पर ‘लेड टू रेस्ट’ नामक पुस्तक भी लिखी है। उन्होंने कहा कि अस्थियों को वापस लाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राव ने एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की थी, जिसमें प्रणब मुखर्जी भी शामिल थे जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने कहा कि हालांकि, खुफिया ब्यूरो (आइबी) ने एक रिपोर्ट के साथ इस मुद्दे पर कोलकाता में संभावित दंगों की चेतावनी दी, क्योंकि देश में कई लोगों को इस सिद्धांत पर यकीन है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताईपे में विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।

पूर्व सांसद एवं हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गार्डिनर चेयर आफ ओसिएनिक हिस्ट्री मामलों के प्रो सुगत बोस ने सेमिनार में कहा कि नेताजी की मृत्यु पर निरर्थक विवाद को खत्म करना चाहिए। उन्होंने बोस पर कई शोधपत्र भी लिखे हैं। नेताजी के परपोता प्रो बोस ने कहा कि नेताजी और उनकी अस्थियां एक राष्ट्रीय मुद्दा है तथा यह महज एक पारिवारिक विषय नहीं है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि बोस स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के एकमात्र ऐसे नेता थे जिनकी मृत्यु रणभूमि में हुई। उन्होंने बोस की मृत्यु से जुड़े विषय को औपचारिक तौर पर बंद करने की मांग की।

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