एनसीएसटी ने बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को आदिवासियों के खिलाफ हिंसा की शिकायतों की जांच फिर से शुरू करने का दिया निर्देश
आदिवासियों के खिलाफ हुई हिंसा की शिकायतों की जांच व अब तक की कार्रवाई के संबंध में भी जवाब तलब किया। शीर्ष अधिकारियों से राज्य में चुनाव बाद आदिवासियों के खिलाफ हुई हिंसा की शिकायतों की जांच व अब तक की कार्रवाई के संबंध में भी जवाब तलब किया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने मंगलवार को बंगाल के मुख्य सचिव व डीजीपी को चुनाव बाद आदिवासियों के खिलाफ हिंसा की शिकायतों की जांच फिर से शुरू करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही आयोग ने दोनों शीर्ष अधिकारियों से राज्य में चुनाव बाद आदिवासियों के खिलाफ हुई हिंसा की शिकायतों की जांच व अब तक की कार्रवाई के संबंध में भी जवाब तलब किया।
आयोग ने पीड़ित पक्षों से इस संबंध में आवेदन प्राप्त करने के बाद मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज मालवीय से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही शिकायतों की जांच फिर से शुरू करने का निर्देश दिया है।
एनसीएसटी के सदस्य अनंत नायक ने कहा कि हमने पहले ही बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी से बंगाल में आदिवासी लोगों के खिलाफ हिंसा की मिली शिकायतों के बाद जवाब तलब किया था। लेकिन उसके बाद भी उस पर कार्रवाई नहीं होने के कारण आयोग ने यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि आयोग की ओर से पहले ही विभिन्न शिकायतों को सूचीबद्ध करके जांच व कार्रवाई के लिए भेजा गया था, जिसमें बंगाल में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद यौन उत्पीड़न, हत्या के प्रयास, धमकी देना आदि घटनाएं शामिल थी। एनसीएसटी को मिली विभिन्न शिकायतों के बाद आयोग के अध्यक्ष ने इसकी जांच के लिए एक टीम भी बंगाल भेजी थी।
नायक ने कहा- मैंने जमीन पर जो जो देखा उससे साफ है कि दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। आदिवासी महिलाओं की दुर्दशा व राज्य की स्थिति देखकर मैं भावुक हो गया। आदिवासी समुदाय के लोग डरे हुए थे। उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी को शिकायतों की फिर से जांच के लिए कहा गया है।