Navratri 2020 : अगले साल कोरोना-मुक्त दुर्गापूजा की कामना के साथ विजयदशमी पर आदिशक्ति को दी गई विदाई

Navratri 2020 फिर आना मां!-कोरोना महामारी के बीच बंगाल में दुर्गापूजा का आयोजन हुआ। विजयादशमी की सुबह से ही प्रतिमाओं का विसर्जन हो गया था शुरू। कोलकाता के तमाम गंगा घाटों पर विसर्जन के लिए प्रशासन की ओर से थे व्यापक इंतजाम।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 06:39 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 06:39 PM (IST)
Navratri 2020 : अगले साल कोरोना-मुक्त दुर्गापूजा की कामना के साथ विजयदशमी पर आदिशक्ति को दी गई विदाई
कुछ पूजा आयोजकों ने प्रतिमा विसर्जन के लिए कृत्रिम जलाशय का निर्माण किया था।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना महामारी के बीच बंगाल में दुर्गापूजा का आयोजन हुआ। इस बार कुछ भी पहले जैसा नहीं था। दर्शनार्थी तो पूजा पंडालों में प्रवेश तक नहीं कर पाए, नतीजतन पूजा पंडाल वीरान रहे और सड़कें सुनसान। बंगाल के लोगों ने ऐसी दुर्गापूजा अपने अब तक के जीवन में नहीं देखी थी। लेकिन कहते हैं न, उम्मीद पर दुनिया कायम है! अगले साल कोरोना-मुक्त दुर्गापूजा की कामना के साथ आदिशक्ति को विदाई दी गई।   विजयादशमी पर हर यरफ उदासी छाई हुई थी। कोरोना के प्रकोप के बीच दुर्गापूजा बंगाल लोगों के  जीवन में जो खुशहाली लेकर आई थी, वह लोगों को  फिर से दूर होती दिख रही थी। सबकी आंखें नम हो रही थीं। 

प्रतिमाओं का विसर्जन सोमवार सुबह से ही शुरू

विजयादशमी की सुबह से ही प्रतिमाओं का विसर्जन शुरु हो गया था। कोलकाता के तमाम गंगा घाटों पर विसर्जन के लिए प्रशासन की ओर से व्यापक इंतजाम किए गए थे ताकि कोरोना संबंधित स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जा सके। गंगाघाटों पर बड़ी संख्या में  पुलिसकर्मी तैनात थे।

आयोजकों को ज्यादा देर तक ठहरने नहीं दिया

कुछ घाटों पर प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अलग-अलग लेन तैयार किए गए थे। प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही उन्हें उठाने के लिए कोलकाता नगर निगम के कर्मी भी मुस्तैद थे। विसर्जन के लिए ज्यादा लोगों को घाट पर जाने की अनुमति नहीं थी। घाटों पर पूजा आयोजकों को ज्यादा देर तक ठहरने नहीं दिया जा रहा था। 

कोलकाता में ऐसा पहली बार देखने को मिला था

त्रिधारा सम्मेलिनी समेत कुछ पूजा आयोजकों ने प्रतिमा विसर्जन के लिए कृत्रिम जलाशय का निर्माण किया था। कोलकाता में ऐसा पहली बार देखने को मिला था। देवी दुर्गा, गणेश-लक्ष्मी, कार्तिकेय-सरस्वती को विदाई देने से पहले सुहागिनों ने उनकी पूजा की।

परंपरा का निर्वहन करने से नहीं रोक पाईं खुद को

इस बार सिंदूर खेला की अनुमति नहीं होने पर भी कुछ पूजा पंडालों में महिलाएं एक-दूसरे के गाल पर सिंदूर लगाती नजर आईं। उनका कहना था कि सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन करने से वे खुद को रोक नहीं पाईं। प्रतिमाओं के विसर्जन के सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहेगा। 

आयोजक का मानना-दुर्गापूजा बहुत बड़ी चुनौती थी

पूजा आयोजकों ने कहा कि कोरोना काल में दुर्गापूजा का आयोजन उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। उन्हें इस बात की खुशी है कि कोरोना के दौर में भी दुर्गापूजा का आयोजन बंद नहीं हुआ। अगले साल हालात सामान्य रहे तो इस साल की कसर पूरी की जाएगी और बड़े पैमाने पर दुर्गापूजा का आयोजन किया जाएगा।

chat bot
आपका साथी