'बंगाली सेंटीमेंट' को बखूबी समझते हैं पीएम मोदी, हर बार खास तैयारी करती है उनकी टीम
बंगाल के लोगों के बारे में एक बात जो बहुत खास है वह यह कि वे अपनी संस्कृति से बेहद गहराई से जुड़े हुए हैं। एक दक्ष राजनेता वही है जो लोगों से खुद को तुरंत जोड़ने की क्षमता रखता हो।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : बंगाल के लोगों के बारे में एक बात जो बहुत खास है, वह यह कि वे अपनी संस्कृति से बेहद गहराई से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि कोलकाता को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। एक दक्ष राजनेता वही है, जो लोगों से खुद को तुरंत जोड़ने की क्षमता रखता हो। इसके लिए समुदाय विशेष की कला-संस्कृति को जानना-समझना बेहद जरुरी है। पीएम मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव के समय से ही इसका गहन अध्ययन करते आ रहे हैं। यही कारण है कि इन वर्षों में वे 'बंगाली सेंटीमेंट' को बखूबी समझने लगे हैं। शायद तभी वे हर बार बंगाल के लोगों से खुद को 'इंस्टेंट कनेक्ट' करने में सफल रहे हैं। शनिवार को नेताजी की 125वीं जयंती पर विक्टोरिया मेमोरियल परिसर में आयोजित समारोह में मोदी पूरी तरह बंगाली अवतार में नजर आए। कुर्ता-पायजामा में लंबी सफेद दाढ़ी वाले उनके लुक की तुलना गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से कर दी गई।
जानी-मानी फैशन डिजाइनर व बंगाल भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष अग्निमित्रा पाल ने कहा-'पीएम मोदी जब भी बंगाल आते हैं तो खास तैयारी करके आते हैं। इसमें उनके परिधान, लुक से लेकर सबकुछ शामिल होता है। इसके पीछे उनकी एक बड़ी टीम काम करती है, जो बारीक से बारीक चीज का पूरा ध्यान रखती है। मोदी अपने वक्तव्य में अब बांग्ला भाषा का भी ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं।'
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के समय मोदी जब भी बंगाल आए, उन्हें ज्यादातर मौकों पर सुनहरे रंग के कुर्ते के साथ सफेद पायजामे में देखा गया।
परिधान विशेषज्ञ इसके पीछे ठोस वजह बता रहे हैं। बंगाल को एक समय 'सोनार बांग्ला' कहा जाता था। यहां के लोग खास अवसरों पर सुनहरे रंग का कुर्ता पहनना खूब पसंद करते हैं इसलिए मोदी ने इसी रंग के परिधान के जरिए सबसे पहले बंगाल के लोगों से जुड़ने की कोशिश की थी।
गौरतलब है कि बंगाल में इन दिनों 'अंदरुनी' बनाम 'बाहरी' बड़ा मुद्दा बना हुआ है। तृणमूल के नेता दिल्ली से बंगाल आने वाले भाजपा नेताओं के साथ-साथ पीएम मोदी को भी बाहरी कहने से गुरेज नहीं कर रहे।