Nagaland Firing: नगालैंड में हुई घटना के मद्देनजर सुरक्षा के मामले पर बढ़ता टकराव

Nagaland Firing बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलिस को यह निर्देश भी दिया है कि सीमा सुरक्षा बल को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने की अनुमति न दी जाए क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 11:13 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 11:13 AM (IST)
Nagaland Firing: नगालैंड में हुई घटना के मद्देनजर सुरक्षा के मामले पर बढ़ता टकराव
नगालैंड में जो हुआ वह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। नगालैंड में हुई घटना के मद्देनजर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य पुलिस से कहा है कि वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की गतिविधियों पर नजर रखें। ममता के इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या इससे बीएसएफ और पुलिस के बीच टकराव नहीं बढ़ेंगे? वह मुख्यमंत्री के साथ-साथ बंगाल की गृहमंत्री भी हैं। उन्होंने पुलिस को यह निर्देश भी दिया है कि सीमा सुरक्षा बल को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने की अनुमति न दी जाए, क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है।

ऐसे में यदि सीमा पर अवैध गतिविधियों में लिप्त किसी अपराधी, तस्कर या आतंकी को बीएसएफ गिरफ्तार करता है और उसके कुछ साथी उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर में मौजूद हैं तो क्या उन्हें कार्रवाई से रोका जाएगा? इससे तो हालात और बदतर हो जाएंगे और आतंकियों से लेकर अपराधियों तक के ही हौसले बुलंद होंगे। बीएसएफ के साथ पुलिस का टकराव बढ़ेगा। क्योंकि उन्हें वे काम से रोकेंगे। ये बातें ममता ने बांग्लादेश की सीमा से सटे उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर जिलों में आयोजित प्रशासनिक समीक्षा बैठक में कही।

उनका कहना है कि मुझे पता है कि यह समस्या है.. बीएसएफ कर्मी हमारे गांव में आ जाते हैं और फिर हमें परेशान किए जाने की शिकायतें मिलती हैं। वे पुलिस को बिना बताए कई स्थानों पर जाते हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। जबकि अभी पिछले माह ही बीएसएफ के उच्च अधिकारी ने साफ कहा था कि उनके जवान स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय रखकर काम करते हैं। फिर ऐसे सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं?

नगालैंड में जो हुआ वह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पर किसी एक घटना को मापदंड बनाकर उसे लेकर अन्य प्रदेशों में केंद्रीय बल पर निगरानी रखने की बात कहना कितना उचित है? वह भी अपने ही देश के बीएसएफ के खिलाफ। मुख्यमंत्री का तर्क है कि विधानसभा चुनाव के दौरान शीतलकूची और हाल में कूचबिहार में गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हुई थी। यहां सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों आई कि वहां पर केंद्रीय बल को गोली चलानी पड़ी? उन्होंने तो ब्लाक विकास अधिकारियों और निरीक्षक प्रभारियों से सचेत रहने की भी बात कह दी। मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के निर्णय का भी विरोध करती रही हैं। पर, इस तरह से निगरानी की बात कहना क्या उचित है? यदि पुलिस प्रशासन अपना कार्य अच्छे से करे तो ऐसी कोई स्थिति ही उत्पन्न नहीं होगी कि बीएसएफ को सीमा की सुरक्षा करने के अलावा किसी अन्य क्षेत्रे में जाना पड़े।

chat bot
आपका साथी