West Bengal :कोरोना से जंग जीतने के बाद मां ने बेटे को किडनी दान की
किडनी प्रत्यारोपण के लिए बांग्लादेश से कोलकाता आया था परिवार लॉकडाउन के कारण सर्जरी में हुई देरी फिर दोनों मां-बेटे हो गए कोरोना संक्रमित कोरोना से उबरने के बाद हुई सफल सर्जरी
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोविड से उबरने के बाद शायद अंग प्रत्यारोपण सर्जरी की देश में पहली घटना सामने आई है। एक 65 वर्षीय महिला ने कोरोना वायरस से उबरने के कुछ दिनों बाद पिछले सप्ताह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में अपने 38 वर्षीय बेटे को अपनी एक किडनी दान की है।
बांग्लादेश से आई मां-बेटे की सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण के बाद बेटे को नया जीवनदान मिला है जो एंड-स्टेज रीनल फेल्योर से पीड़ित था। मां और बेटे फिलहाल स्वस्थ हैं। कोलकाता स्थित आरएन टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज (आरटीटीआइसीएस) में यह सफल किडनी प्रत्यारोपण किया गया है। बताया गया कि बांग्लादेश के रहने वाले उत्तम कुमार घोष जनवरी के अंत में अपने माता-पिता, पत्नी और बेटी के साथ किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए कोलकाता पहुंचे थे। लेकिन जब तक आरएन टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज के डॉक्टर राज्य के स्वास्थ्य विभाग से सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद सर्जरी का समय निर्धारित करते, तब तक लॉकडाउन लगाया जा चुका था। तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक सलाह आई कि कोविद के मद्देनजर केवल आपातकालीन मामलों में प्रत्यारोपण सर्जरी की जाए।
आरटीआइआइसीएस में नेफ्रोलॉजी विभाग के हेड नेफ्रोलॉजिस्ट दीपक शंकर रे ने कहा कि इसके बाद हमने इस सर्जरी को लेकर और अधिक स्पष्ट दिशानिर्देश हासिल की कि इसे कैसे किया जाए। नियमों के अनुसार, दाता और प्राप्तकर्ता दोनों के लिए कोविड का परीक्षण करना जरूरी था। दुर्भाग्य से मां और बेटे दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रे ने कहा कि चूंकि परिवार में आर्थिक तंगी थी, इसलिए हमने दोनों को कोविड के इलाज के लिए सरकारी एमआर बांगुर अस्पताल भेजने का फैसला किया। इससे मदद मिली कि बांगुर अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा भी अच्छी है, जिसे प्राप्तकर्ता को कोविड के इलाज के साथ यह आवश्यक था।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के इलाज के बाद निगेटिव रिपोर्ट आने के पश्चात दोनों मां- बेटे को 12 जून को बांगुर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। लेकिन छुट्टी के बाद अनिवार्य होम क्वारंटाइन अवधि के कारण डॉक्टरों को और दो सप्ताह तक इंतजार करना पड़ा। अंत में बीते 3 जुलाई को प्रत्यारोपण सर्जरी की गई। डॉक्टर रे जिन्होंने इस सर्जरी को करने वाली टीम की अगुवाई की, ने बताया कि कोविड संक्रमण गुर्दे के रोगियों के लिए बहुत बुरा साबित हो सकता है, लेकिन सौभाग्य से इस रोगी को बहुत हल्का संक्रमण था। उन्होंने कहा कि सर्जरी के बाद किडनी दाता और प्राप्तकर्ता दोनों अच्छी तरह से स्वस्थ हो रहे हैं। मां को कुछ दिनों में छुट्टी दे दी जाएगी, बेटे को कुछ और दिनों के लिए अस्पताल की देखभाल में रहना होगा।
मां- बेटे ने डॉक्टरों का किया धन्यवाद
बांग्लादेश के सिराजगंज के एक निजी फर्म के कर्मचारी उत्तम ने कहा कि एमआर बांगुर और आरटीआइआइसीएस में बहुत अच्छी तरीके से मेरी देखभाल की गई। किसी ने हमें बाहरी लोगों जैसा महसूस नहीं कराया। उन्होंने हमें एक बार भी उम्मीद नहीं खोने दी।
वहीं, मां कल्पना ने कहा कि वह शुरू में चिंतित थीं जब कोविड के लिए दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।लेकिन मैंने अपने आप से कहा कि मुझे इस संक्रमण से बाहर आना होगा क्योंकि मेरे इकलौते बेटे को जीवन जीने की जरूरत है। दरअसल, इस परिवार ने पहले दक्षिण भारत के कुछ अस्पतालों का दौरा किया था लेकिन उन्हें बताया गया था कि वे 60 साल से अधिक उम्र के दाताओं को स्वीकार नहीं करते हैं। इसके बाद आरटीआइआइसीएस में डॉक्टर रे और उनकी टीम ने पाया कि प्रत्यारोपण के लिए मां की किडनी की कार्यक्षमता काफी अच्छी थी। इसके बाद उन्होंने यहां सर्जरी करने का फैसला किया। डॉक्टर रे के अनुसार, यदि अंग फिट है तो 69 वर्ष की आयु तक के दाताओं को यह अस्पताल स्वीकार कर सकती है।