West Bengal Politics: ममता मंत्रिमंडल में सिंगुर आंदोलन के नेता व पूर्व मंत्री की बेटी को मिली जगह

कृषि जमीन बचाओ आंदोलन के मुखिया रहे बेचाराम मन्ना को ममता ने बनाया श्रम मंत्रीपूर्व सांसद रत्ना दे नाग को पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया सिंगुर के भूमि आंदोलन के जरिए ही 2011 में ममता बनर्जी पहली बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं।

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 10:38 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:38 AM (IST)
West Bengal Politics: ममता मंत्रिमंडल में सिंगुर आंदोलन के नेता व पूर्व मंत्री की बेटी को मिली जगह
सिंगुर के भूमि आंदोलन के जरिए ही 2011 में ममता बनर्जी पहली बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के हुगली जिले की बहुचर्चित सिंगुर विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक रह चुके रवींद्रनाथ भट्टाचार्य को हराने वाले किसान नेता बेचाराम मन्ना व 45 वर्षों से लगातार लाल झंडे के कब्जे में रहे पांडुआ विधानसभा सीट पर इस बार तृणमूल कांग्रेस का झंडा फहराने वाली रत्ना दे नाग को ममता मंत्रिमंडल में जगह मिलने से जिले के तृणमूल खेमे में खुशी की लहर है।

सिंगुर के भूमि आंदोलन के जरिए ही 2011 में ममता बनर्जी पहली बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं। कृषि जमीन बचाओआंदोलन के मुखिया रहे बेचाराम मन्ना को इस बार ममता मंत्रिमंडल में फिर से जगह मिली है। सिंगुर के विधायक बेचाराम मन्ना को श्रममंत्री का पदभार सौंपा गया है। इससे पहले जब वे हरिपाल के विधायक थे, उस समय ममता ने उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया था। गौरतलब है कि इस बार तृणमूल ने बेचाराम व उनकी पत्नी, दोनों को बतौर उम्मीदवार खड़ा किया था। बेचाराम मन्ना सिंगुर से तथा उनकी पत्नी करबी मन्ना हरिपाल से निर्वाचित हुई। बंगाल में एक ही पार्टी से एक साथ पति-पत्नी की जीत का इतिहास भी इन लोगों ने रचा हैं।

मंत्रिपद की शपथ लेने के बाद बेचाराम मन्ना ने कहा कि सिंगुर की कृषि भूमि की उर्वरकता बढ़ाने तथा यहां किस प्रकार से उद्योग-धंधों का विकास हो, यह मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी।' बीते लोकसभा चुनाव में हार के बाद तृणमूल नेत्री रत्ना दे नाग इस बार पांडुआ विधानसभा सीट से खड़ी हुई थी। साढ़े चार दशक से लाल दुर्ग के तौर पर परिचित रही इस विधानसभा सीट से रत्ना दे नाग ने माकपा म्मीदवार को लगभग 31 हजार वोटों से हराया। मुख्यमंत्री ने उन्हें भी अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है।

रत्ना दे नाग को पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। रत्ना दे नाग के पिता गोपाल दास नाग भी एक समय बंगाल के मंत्री थे। सूबे में जब कांग्रेस की सरकार थी, उस समय गोपाल दास नाग ने श्रम मंत्री के रूप में काम किया था। सांसद बनने से रत्ना दे नाग श्रीरामपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक निर्वाचित हो चुकी हैं। 2009 में वह हुगली लोकसभा सीट से निर्वाचित हुई थीं।

बीते चुनाव में वह भाजपा की लाॅकेट चटर्जी से हार गई थीं। रत्ना दे नाग ने कहा-'इसके पहले भी मैं विधायक थी लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बार मुझे मंत्री बनाया हैं। मेरे पिता होते तो आज वे बहुत खुश होते।' 

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