West Bengal: ममता की मुश्किलें बढ़ीं, तृणमूल विधायक सिद्दीकुल्ला चौधरी ने किया चुनाव लड़ने से इन्कार
पार्टी विधायक चौधरी ने जिला नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने उदासीन व्यवहार को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है। पार्टी विधायक चौधरी ने जिला नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने उदासीन व्यवहार को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में विधानसभा चुनावों में कुछ ही महीनों का समय बचा है। ऐसे में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब पूर्व बर्द्धमान जिले में मंगलकोट से विधायक सिद्दीकुल्ला चौधरी ने आगामी चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। उन्होंने जिला नेतृत्व पर खराब प्रदर्शन करने के आरोप लगाए हैं। चौधरी ने नंदीग्राम भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी।
पार्टी विधायक चौधरी ने जिला नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने 'उदासीन व्यवहार' को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है। उन्होंने कहा 'मैंने हमारी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी को जिले में खराब नेतृत्व के बारे में पूरी तरह सूचित कर दिया है।' उन्होंने कहा 'मुझे लगता है कि जिले में पार्टी के कुछ नेता उस तरह से प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, जैसा उन्हें जरूरी चुनावों को लेकर करना चाहिए।'
चौधरी कहते हैं कि वे बर्द्धमान के भूमिपुत्र हैं और कमजोर नेतृत्व के कारण जिला विकास के मामले में पिछड़ता है, तो वे मूक दर्शक बनकर नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा 'इसलिए मैंने इस बार मंगलकोट से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। मैंने अपनी पार्टी प्रमुख अपने फैसले के बारे में पहले ही बता दिया है।' 2016 विधानसभा चुनाव में चौधरी ने माकपा के शाहजहां चौधरी को 12 हजार मतों से हराया था। वहीं, सीएम ममता ने उन्हें कैबिनेट में भी जगह दी थी।
बीते कुछ दिनों में तृणमूल के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इनमें से कई नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। ममता का साथ छोड़ने वालों में पूर्व मंत्री सुवेंदु अधिकारी, क्रिकेटर लक्ष्मी रत्न शुक्ल, सांसद सुनील मंडल, विधायक अरिंदम भट्टाचार्य और वैशाली डालमिया का नाम शामिल है। सीएम बनर्जी ने भाजपा पर टीएमसी नेताओं को गलत तरीके से शामिल करने का आरोप लगाया है।