जानिए क्यों मुख्यमंत्री बने रहने के लिए ममता बनर्जी को विधानसभा सदस्य चुना जाना है जरूरी
West Bengal Politics ममता बनर्जी स्वयं नंदीग्राम में चुनाव हार गईं। बावजूद इसके उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। ऐसे में अब उन्हें संविधान के नियम के मुताबिक चार नवंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना होगा।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद भी दो माह के भीतर सत्तारूढ़ दल में उपचुनाव को लेकर इतनी बेचैनी कभी नहीं दिखी थी। विधानसभा चुनाव में 213 सीटें जीतने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस पांच सीटों पर उपचुनाव और दो सीटों पर आम चुनाव शीघ्र कराने को लेकर बेचैन है। इसी का नतीजा है कि गुरुवार को तृणमूल के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली जाकर चुनाव आयोग के समक्ष जल्द उपचुनाव कराने की मांग रखी। दरअसल तृणमूल कांग्रेस तो विधानसभा चुनाव में जीत गई और सरकार भी बना ली, लेकिन ममता बनर्जी स्वयं नंदीग्राम में चुनाव हार गईं। बावजूद इसके उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। ऐसे में अब उन्हें संविधान के मुताबिक चार नवंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना होगा।
बंगाल में विधान परिषद नहीं है, इसीलिए उन्हें उपचुनाव में जीतना होगा। परंतु अप्रैल के आखिरी सप्ताह में जब बंगाल में विधानसभा चुनाव जारी था तो मद्रास हाई कोर्ट ने कोरोना के केसों में तेजी से इजाफे के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था। यही नहीं अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के लिए चुनाव आयोग के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी को निभाने में विफल रहा है। चुनाव में राजनीतिक दलों ने कोरोना प्रोटोकाल का जमकर उल्लंघन किया है और आयोग उन्हें रोकने में नाकाम रहा है। आयोग के चलते स्थिति इतनी विकराल हुई है और वह राजनीतिक दलों पर नकेल कसने में नाकाम रहा है।’
इसके बाद कोरोना महामारी के मद्देनजर चुनाव आयोग ने सभी चुनाव अनिश्चितकाल के लिए रोक दिए हैं। उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी चुनाव प्रचार में सवाल कर रही थीं कि बंगाल में आठ चरणों में मतदान क्यों कराया गया? कोरोना के मामले बढ़ने के लिए आयोग और केंद्र सरकार दोषी है। अब जबकि ममता को छह माह के भीतर यानी चार नवंबर तक चुनाव जीतकर विधायक बनना ही होगा तो उपचुनाव कराने को लेकर परेशान हैं। सिर्फ सीएम ही नहीं, दो मंत्रियों को भी उपचुनाव जीतना होगा। तृणमूल को डर है कि कहीं एक बार फिर कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ गया तो मामला लटक जाएगा। इसीलिए उपचुनाव तत्काल संपन्न हो जाए।