ममता की हुंकार, कहा-गुजरात या यूपी नहीं है बंगाल, केंद्रीय योजना पर क्रियान्वयन के आरोप पर पीएम मोदी पर भी पलटवार
निशाना- राज्य सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन। केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल का लगाया आरोप। मुझे पता है चुनाव से पहले वे ऐसा और करेंगे। पीएम केयर्स पर फिर उठाए सवाल। पूछा- ऑडिट क्यों नहीं। हम योजना को 100 फीसदी फंड करते। बिना लड़ाई बंगाल के लोग एक इंच नहीं देंगे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक बार फिर भाजपा व केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बंगाल गुजरात या यूपी नहीं है। बंगाल, बंगाल है। कुछ बाहरी गुंडे यहां आ रहे हैं, लेकिन यह जान लें आप संघीय ढांचे को ध्वस्त नहीं कर सकते।
राज्य सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन
राज्य सचिवालय नवान्न में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री द्वारा एक दिन पहले वाराणसी से संबोधन के दौरान बंगाल में केंद्रीय योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होने के आरोपों पर पलटवार करते हुए ममता ने कहा कि हम संविधान के मुताबिक चलते हैं।
हम योजना को 100 फीसदी फंड करते
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कार्यान्वयन करने वाली एक अथॉरिटी है, तो क्या हमें भाजपा के मन-मुताबिक चलना चाहिए? जब राज्य में पहले से ही एक योजना चल रही है तो हमें वैसी ही एक नई योजना क्यों चलानी चाहिए? क्योंकि भाजपा कह रही है? उन्हें फंड कहां से मिलता है? यह पूरा राज्य सरकार के टैक्स का पैसा है। हम अपनी योजना को 100 फीसदी फंड करते हैं, लेकिन उनकी योजनाओं के लिए राज्य सरकारों को देना पड़ता है।'
सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश
ममता ने इस दौरान आरोप लगाया कि वे (केंद्र सरकार) केंद्रीय एजेंसियों के जरिये हमारी सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश कर रहे हैं...। उन्होंने कहा कि मुझे पता है चुनाव से पहले वे ऐसा और करेंगे।
पीएम केयर्स का ऑडिट क्यों नहीं
ममता ने इस दौरान पीएम केयर्स फंड पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि पीएम केयर्स फंड के लाखों-करोड़ों रुपये का क्या हुआ। उसका ऑडिट क्यों नहीं किया जा सकता है? ममता ने आगे कहा कि बंगाल के लोग बिना लड़ाई के आपको (भाजपा) एक इंच भी नहीं देंगे। ममता ने यह भी आरोप लगाया, 'भाजपा पार्टी कार्यालय न्यूज चैनलों को हेडलाइन दे रहा है। पीएमओ तय कर रहा है कि संपादक कौन होगा। इस तरह से वे मीडिया को नियंत्रित करते हैं।'