आर्थिक तंगी से जूझ रही बंगाल की ममता सरकार अब केंद्र के फंड से अपनी विभिन्न योजनाएं चालू रखने की जुगत में
आर्थिक तंगी से जूझ रही बंगाल की ममता सरकार अब केंद्र के फंड से अपनी विभिन्न योजनाएं चालू रखने की जुगत में है। राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्रीय योजनाओं से आर्थिक सुविधाएं मिल सकती हैं या नहीं
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : आर्थिक तंगी से जूझ रही बंगाल की ममता सरकार अब केंद्र के फंड से अपनी विभिन्न योजनाएं चालू रखने की जुगत में है। राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्रीय योजनाओं से आर्थिक सुविधाएं मिल सकती हैं या नहीं, विभिन्न विभागों के आला अधिकारियों से इसकी संभावनाएं तलाशने को कहा गया है। राज्य सरकार के एक प्रशासनिक अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि पिछले साल कोरोना के समय राज्य सरकार की राजस्व प्राप्ति न के बराबर थी।
इस साल अर्थव्यवस्था में थोड़ी तेजी आई है और राज्य सरकार को फिर से राजस्व मिलना शुरू हो गया है लेकिन पुरानी व नई योजनाओं को लेकर आर्थिक दबाव अभी बहुत ज्यादा है इसलिए राज्य सरकार अपनी योजनाओं के लिए कहां-कहां से केंद्रीय फंड मिल सकता है, इसका पता लगाने में जुट गई है।
तीसरी बार बंगाल की सत्ता में आने के बाद ममता सरकार ने 'दुआरे सरकार' व 'लक्ष्मी भंडार' जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जिससे उसपर आर्थिक बोझ काफी बढ़ गया है। ममता सरकार केंद्र की 'आयुष्मान भारत' और 'पीएम किसान निधि सम्मान' समेत विभिन्न योजनाओं को बंगाल में लागू करने से इन्कार करती रही थी। वह पीएम किसान निधि सम्मान की तर्ज पर 'कृषक बंधु' और आयुष्मान भारत की तर्ज पर स्वास्थ्य साथी योजना चला रही है। राज्य सरकार का तर्क था कि जब वह पहले से केंद्र सरकार जैसी योजनाएं चला रही है तो केंद्रीय योजनाओं को बंगाल में लागू करने का औचित्य क्या है? हालांकि राज्य सरकार बाद में पीएम किसान निधि सम्मान लागू करने पर राजी हुई थी। बंगाल में ममता सरकार की सबूज साथी, स्वास्थ्य साथी, रूपश्री, कन्याश्री समेत विभिन्न योजनाएं चल रही हैं, जिनके लिए काफी फंड की जरूरत पड़ती है।