ममता सरकार हुई राजी, बंगाल के किसानों को जल्द मिलेगी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की पहली किस्त

बंगाल में आख़िरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की पहली किश्त लाखों किसानों जल्द को मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्र सरकार के कई मंत्री व भाजपा नेता बंगाल सरकार पर इस योजना को न लागू करने को लेकर कई बार तंज़ कस चुके हैं।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 06:15 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 06:15 PM (IST)
ममता सरकार हुई राजी, बंगाल के किसानों को जल्द मिलेगी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की पहली किस्त
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर निवेदन किया था।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में आख़िरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की पहली किश्त लाखों किसानों जल्द को मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्र सरकार के कई मंत्री व भाजपा नेता बंगाल सरकार पर इस योजना को न लागू करने को लेकर कई बार तंज़ कस चुके हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के लाभकर्ता किसानों को 2,000 रुपये की पहली किश्त 14 मई से मिलनी शुरू हो जाएगी। एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि बंगाल सरकार ने पीएम-किसान के लाभकर्ताओं के सीधे उनके ख़ाते में रक़म जमा करने के फ़ैसले को अनुमति दे दी है।

यह सामने आया है कि राज्य सरकार ने चार मई को इस योजना के पैसे सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफ़र को अनुमति दे दी है। यह फ़ैसला तब लिया गया था जब एक दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्य सरकार के अधिकारियों को इस योजना का लाभ देने के लिए निवेदन किया था। बंगाल के 7.55 लाख किसानों को फ़िलहाल इस योजना के लिए योग्य पाया गया है और उनको अप्रैल-जुलाई की अवधि की 2,000 रुपये की पहली किश्त दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इस दौरान नौ करोड़ रुपये जारी करेगी। पीएम-किसान योजना के तहत पूरे साल में किसानों को तीन किश्तों में 6,000 रुपये सीधे उनके ख़ाते में डाले जाते हैं।‌

साल 2018-19 में शुरू हुई इस योजना के तहत अबकी बार देश के किसानों को आठवीं किश्त दी जा रही है। बताते चलें कि इससे पहले ममता सरकार मांग करती रही है कि राज्य सरकार के माध्यम से इस योजना के पैसे किसानों को दिया जाए। लेकिन केंद्र के बार-बार मना करने के बाद आखिरकार राज्य सरकार अब राजी हुई है। 

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