West Bengal: अब ममता बनर्जी ने शिक्षा मंत्रालय के ज्ञापन के खिलाफ पीएम मोदी को लिखा पत्र

West Bengal ममता ने लिखा कि संशोधित दिशानिर्देशों से राज्य द्वारा पोषित विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन/डिजिटल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन/संगोष्ठी/प्रशिक्षण आदि के आयोजन में कई बाधाएं खड़ी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञापन जारी करने से पहले राज्यों से इस संबंध में परामर्श नहीं लिया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 05:37 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 07:36 PM (IST)
West Bengal: अब ममता बनर्जी ने शिक्षा मंत्रालय के ज्ञापन के खिलाफ पीएम मोदी को लिखा पत्र
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को फिर लिखा पत्र, ‘एक देश, एक विचार’ थोपने का लगाया आरोप। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह उस संशोधित दिशानिर्देश को तत्काल वापस ले, जिसके तहत राज्य सरकार से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों को वैश्विक सम्मेलनों के आयोजन से पहले मंत्रालय की मंजूरी लेने को कहा गया है। इससे पहले ममता ने कोरोना वैक्सीन को लेकर पीएम को पत्र लिखा था। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 15 जनवरी को कहा था कि सरकार द्वारा पोषित विश्वविद्यालय अगर देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों या फिर प्रत्यक्ष तौर पर भारत के आंतरिक मामलों से जुड़े मुद्दों पर आनलाइन वैश्विक सम्मेलन आयोजित करना चाहते हैं तो उन्हें मंत्रालय से पहले इसकी मंजूरी लेनी होगी।

ममता ने लिखा कि संशोधित दिशानिर्देशों से राज्य द्वारा पोषित विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन/डिजिटल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन/संगोष्ठी/प्रशिक्षण आदि के आयोजन में कई बाधाएं खड़ी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञापन जारी करने से पहले राज्यों से इस संबंध में परामर्श नहीं लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी को पत्र में बनर्जी ने लिखा कि हमारे विश्वविद्यालयों को शीर्ष स्तर के स्वशासन और स्वतंत्रता का अनुभव होना चाहिए। ज्ञान किसी एक देश या समुदाय की रचना या संपत्ति नहीं है। तार्किक नियमन और पाबंदियां समझ में आती हैं। हालांकि, ज्ञापन द्वारा थोपी गई पाबंदियां हमारे देश में उच्च शिक्षा प्रणाली के केंद्रीयकरण की भारत सरकार की मंशा को और रेखांकित करती हैं। उन्होंने लिखा कि यहां इस बात का उल्लेख संदर्भ से परे नहीं होगा कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है और शिक्षण संस्थानों को ऐसे निर्देश जारी करने से पहले राज्य सरकारों के साथ परामर्श नहीं करना संघीय ढांचे की भावना के विपरीत। ऐसे किसी भी संवाद को राज्यों की संवैधानिक शक्तियों की अवमानना के उदाहरण के तौर पर देखा जाएगा।

गौरतलब है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इससे पहले राज्यवासियों को नि:शुल्क कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। राज्य सचिवालय नवान्न के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ममता सरकार कोरोना वैक्सीन विकसित करने वालों से सीधे इसे खरीदना चाहती है। केंद्र की अनुमति के बिना यह संभव नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री ने इसे लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। ममता पहले ही बंगालवासियों को नि:शुल्क कोरोना वैक्सीन लगवाने का एलान कर चुकी हैं। दूसरी तरफ विरोधी दलों ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया है। माकपा विधायक सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह कदम पहले उठाना चाहिए था। विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर वह ऐसा कर रही हैं। दरअसल, यह उनकी वोट बैंक की राजनीति है। भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य ने भी कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक है, इसलिए मुख्यमंत्री ऐसा कर रही हैं।

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