Election 2019: प. बंगाल में कौन सियासी बाजी जीतकर कहलाएगा बाजीगर
Election 2019 एक्जिट पोल में जो बढ़त दिखाई गई है वैसा ही यदि चुनाव परिणाम आता है तो यह भाजपा के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होगा ।
कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। एक मशहूर फिल्मी डॉयलाग है ‘हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं।’ ममता बनर्जी 34 वर्षों के वामपंथी शासन का अंत कर सत्ता पर काबिज हुई थीं। उस समय ममता को ‘बाजीगर’ कहा गया था, क्योंकि जो कार्य कांग्रेस नहीं कर पाई थी वह काम ममता ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस गठित करने के महज 13 वर्ष के अंदर कर दिखाया था, लेकिन आज उसी बंगाल में तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। लोकसभा चुनाव के सभी चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है और एक्जिट पोल के नतीजे आ चुके हैं।
असली चुनाव परिणाम तो 23 मई को आएगा, लेकिन सभी एक्जिट पोल में जिस तरह से बंगाल की धरती पर भी कमल के खिलने के संकेत मिले हैं, उससे भाजपा का उत्साहित होना लाजिमी है। एक्जिट पोल में जो बढ़त दिखाई गई है वैसा ही यदि चुनाव परिणाम आता है तो यह भाजपा के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होगा और इसका श्रेय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उनकी टीम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी मेहनत को जाएगा। क्योंकि अमित शाह ने कुछ वर्ष पहले पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि भाजपा के लिए स्वर्ण युग उस समय शुरू होगा जब बंगाल, ओडिशा और केरल में कमल खिलेगा।
उसी अनुसार 2014 के बाद से ही कमल के लिए बंगाल की धरती को उर्वरा बनाने में शाह और उनकी टीम जुट गई थी। दो दिन बाद जब चुनाव परिणाम आएंगे तो अमित शाह और उनकी टीम तथा पीएम मोदी का दांव कितना सफल हुआ, इसका पता चल जाएगा, परंतु ममता बनर्जी भी एक ऐसी नेता हैं जो अंतिम घड़ी तक लड़ती हैं। उनके इसी जुझारू तेवर ने उन्हें सीएम के पद तक पहुंचाया है।
ऐसे में भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी, परंतु मुस्लिम तुष्टीकरण, घुसपैठ, एनआरसी, भ्रष्टाचार और राजनीति सा जैसे मुद्दों पर भाजपा ने तृणमूल प्रमुख को घेरा है। पीएम मोदी ने बंगाल में 17 जनसभाएं कीं, जो उत्तर प्रदेश के बाद किसी राज्य में सर्वाधिक हैं।
यही नहीं पहली बार देश के किसी पीएम ने बंगाल में इतनी अधिक चुनावी रैलियां की हैं। ममता ने भी भाजपा को बंगाल में पांव न जमे, इसके लिए हर ऐसे मुद्दों को उठाया जिससे लोगों को परेशानी हुई थी। यही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह ममता चुनावी सभाओं में चौकीदार चोर है के नारे लगवाती रहीं। पीएम मोदी और शाह पर व्यक्तिगत हमले भी किए।
42 में 42 सीटें जीतने का लक्ष्य ममता ने निर्धारित किया था, परंतु जब एक्जिट पोल में भाजपा के काफी बढ़त की बातें सामने आई तो ममता ने एक्जिट पोल को गपशप और भाजपा का ईवीएम में हेराफेरी का हथकंडा करार दे दिया। जो भी दांव मोदी व ममता ने खेला है, इसमें कौन सियासी बाजी जीतकर बाजीगर कहलाएगा, यह 23 को पता चल जाएगा। फिर भी यह कहा जा सकता है कि बंगाल एक नए दौर की ओर बढ़ रहा है और अगर वैसा ही कुछ होता है जैसा एक्जिट पोल में सामने आया तो फिर मान लिया जाना चाहिए कि भाजपा रणनीति बनाने और उस पर सफलतापूर्वक अमल करने में माहिर है।
दूसरी ओर बंगाल में यह वाम दलों के युग के पूरी तरह खत्म हो जाने का संदेश होगा। राष्ट्रीय राजनीति के लिए यह बड़ी बात होगी। जहां तक ममता का प्रश्न है तो वह केंद्र में भाजपा विरोध में सबसे आगे रही हैं या रहने की कोशिश करती रही हैं। उन्हें अगर अपने गढ़ में झटका लगता है तो यह कोई सामान्य बात नहीं होगी।
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